उत्तरप्रदेश में रामनवमी के पावन अवसर पर प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या आज आस्था, उल्लास और श्रद्धा की त्रिवेणी में डूबी हुई है. राम मंदिर के गर्भगृह में विराजमान राम लला के दूसरे जन्मोत्सव पर दिव्यता और भव्यता का अद्भुत संगम देखने को मिला
जैसे ही दोपहर 12 बजे घड़ी की सुइयां भगवान श्रीराम के जन्म के समय पर पहुंचीं, रामलला के ललाट पर सूर्यदेव की किरणों ने तिलक किया. यह दृश्य पूरे देश के लिए भावनाओं का सैलाब बन गया.
राम लला का सूर्य तिलक बना विशेष आकर्षण
रामनवमी पर सबसे अनोखा और अद्भुत क्षण तब आया, जब भुवन भास्कर सूर्य ने मंदिर के विशेष वास्तुशिल्प के अनुरूप बनाए गए मार्ग से अपनी किरणें रामलला के मस्तक पर फेरीं. इसे ‘सूर्य तिलक’ कहा जाता है. यह दृश्य जैसे ही सामने आया, श्रद्धालु जय श्रीराम के उद्घोष से गूंज उठे. यह आयोजन अयोध्या में पहली बार जनवरी 2024 में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के बाद हुआ
भव्य श्रृंगार और पूजा-अर्चना से सजी रामनगरी
सुबह 9:30 बजे से ही जन्मोत्सव की तैयारियां शुरू हो गई थीं. रामलला के अभिषेक से कार्यक्रम की शुरुआत हुई, इसके बाद हुआ दिव्य श्रृंगार. भगवान को नए वस्त्र पहनाए गए, मुकुट और आभूषणों से सजाया गया. 10:30 से 11:30 तक विशेष श्रृंगार के बाद भगवान को विविध प्रकार के भोग अर्पित किए गए. दोपहर 12 बजे जन्म की आरती हुई और फिर रामलला को 56 भोग अर्पित किए गए
अयोध्या में श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब
रामनवमी के इस पावन अवसर पर अयोध्या में श्रद्धालुओं का भारी जनसैलाब उमड़ा है. देशभर से लोग प्रभु श्रीराम के जन्मोत्सव में शामिल होने पहुंचे हैं. सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए हैं और पूरे शहर को फूलों, लाइटों और रंगोली से सजाया गया है. हर मंदिर में शंख, घंटा और घड़ियाल की गूंज से माहौल भक्तिमय हो गया है
देशभर में हुआ लाइव प्रसारण
राम जन्मोत्सव और सूर्य तिलक कार्यक्रम का सीधा प्रसारण देशभर में किया गया, जिससे करोड़ों श्रद्धालु इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बन सके. सोशल मीडिया पर भी इस अवसर के वीडियो और तस्वीरें छाए हुए हैं
रामनवमी 2025 का यह पर्व अयोध्या के इतिहास में एक और सुनहरा अध्याय जोड़ गया है. सूर्य तिलक की यह परंपरा अब हर साल इस पर्व पर दोहराई जाएगी, जो प्रभु श्रीराम के प्रति श्रद्धा और विज्ञान के अद्भुत संगम का प्रतीक है