कुंडलपुर में नव छुल्लक मुनियों की आहार चर्या के लिए उमड़ रही भीड़

विश्व की विरलतम जैन मंदिरों में गिने जाने वाले प्रसिद्ध तीर्थ स्थल कुंडलपुर में चल रहे जैन महाकुंभ पंचकल्याणक महा महोत्सव के आयोजन के अवसर पर सोमवार को ज्ञान कल्याणक का आयोजन किया गया जिसमें धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

सुबह से जहां भगवान आदिनाथ का अभिषेक, शांतिधारा नित्य पूजन एवं हवन किया गया वही आचार्यश्री का भी पूजन किया गया। पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के छठवें दिन सोमवार को ज्ञान कल्याणक पूर्व रूप महोत्सव भक्ति भाव से मनाया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत प्रतिष्ठाचार्य ब्रा. विनय भैया ने दिव्य मंत्रोच्चार पूर्वक मांगलिक क्रियाओं द्वारा भगवान का अभिषेक, शांतिधारा, पूजन के साथ हुई। उसके बाद ज्ञान कल्याणक पूजन, शांति हवन, ज्ञान संस्कार विधि, समवशरण की रचना एवं दिव्य देशना आदि धार्मिक अनुष्ठान संपन्न हुए। इसके बाद इन्द्र-इन्द्राणियों ने देव, शास्त्र, गुरू की पूजन के साथ अष्ट द्रव्यों से भगवान की पूजा-अर्चना, स्मरण, ध्यान कर ज्ञान कल्याणक का अर्घ्य समर्पित किया। भगवान आदिनाथ और सभी भगवानों की आहार चर्या की क्रियाएं देखकर श्रद्धालु गदगद हो गए। ज्ञान कल्याणक के दिन मुनिश्री द्वारा प्रतिष्ठारत प्रतिमाओं को सूर्य मंत्र दिया गया तथा सभी प्रतिमाओं का पूजन किया गया। इसके अलावा भगवान का श्रद्धालुओं द्वारा पडगाहन भी किया गया।

ज्ञान कल्याणक पूर्व रूप के दिन हजारों श्रद्धालुओं को दिव्य देशना प्रदान करते हुए संत शिरोमणि आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने कहा कि तीर्थंकर भगवान के रूप में धरती पर जन्म लेकर मरण से मुक्ति हेतु मृत्युंजय साधना हैं, मृत्यु पर विजय प्राप्त करने की साधना हैं। आप के घर की लक्ष्मी कह रही हैं कि मुझे ताले में बंद मत करो सोना, चांदी, हीरा सब ले लो पर हमें भी प्रभु के दरबार में मौका मिल जाए। कल वैराग्य के समय जो भक्त रो रहे थे आज महान विभूति प्रभु को नवधा भक्तिपूर्वक आहार देकर आनंद पा रहे हैं।

एक साथ 24 भगवानों के माता-पिता एक साथ विराजमान है भगवानों की आहार चर्या की क्रियाएं देखकर श्रद्धालु गदगद हुए। अन्न का आहार से जान प्राप्त करने की महान शक्ति विद्यमान हैं जब भगवान आहार को निकले तो समान्य जन की ओर देख रहे थे इस दृश्य को देखने स्वर्ग भी खाली हो गया। इस दृश्य को देखकर श्रृद्धालु को साक्षात देख रहे हैं जो न भूतों और न ही भविष्य में धरती पर संभव है। सभी से कहा कि यदि देश से कृषि समाप्त हो जाएगी तो विनाश हो जाएगा। धर्म कर्म भी नष्ट हो जाएगा, पंचगव्य के माध्यम से स्वास्थ, आरोग्य बढ़ेगा जिसका संरक्षण करना है जिससे देश को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।

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