महाशिवरात्रि पर कल भगवान महाकाल दूल्हा बनेंगे। उनका दूल्हे के रूप में विशेष श्रृंगार किया जाएगा। इससे पहले 8 दिन तक भगवान का अलग-अलग स्वरूपों में श्रृंगार किया गया। तस्वीरों में देखिए, दूल्हा बनने से पहले भगवान के 8 दिन के स्वरूप…
पहला दिन: चंद्रमौलिश्वर
भगवान की पूजा, कोटितीर्थ पर स्थित श्री कोटेश्वर महादेव के पूजन-अर्चन बाद प्रारंभ हुई। 11 ब्राह्मणों ने रुद्राभिषेक किया। दोपहर 3 बजे महाकाल को नए वस्त्र पहनाए गए।
दूसरा दिन: शेषनाग
शाम को पूजन बाद बाबा को लाल वस्त्र धारण करवाए गए। मुकुट, मुंड और फलों की माला के साथ शेषनाग धारण करवाया गया। अभिषेक एकादश-एकादशनी रूद्रपाठ से हुआ।
तीसरा दिन: घटाटोप स्वरूप
शाम को पूजन बाद बाबा महाकाल ने घटाटोप स्वरूप में दर्शन दिए। नारंगी वस्त्र धारण कराए गए। कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुण्डमाल, छत्र, माला व फलों की माला पहनाई गई।
चौथे दिन: छबीना स्वरूप
सुबह मंदिर के नैवैद्य कक्ष में श्रीचन्द्र मौलेश्वर का पूजन किया गया। पीले वस्त्र धारण करवाए गए। छबीना रूप का श्रृंगार कर मुकुट, मुण्ड व फलों की माला धारण कराई गई।
पांचवें दिन: मनमहेश स्वरूप
सुबह भगवान श्री चन्द्रमौलेश्वर का पूजन किया गया। शाम को नीले वस्त्र धारण करवाए गए। मन महेशन स्वरूप का श्रृंगार कर मुकुट, मुंड व फलों की माला धारण कराई।
छठवां दिन: उमा महेश
सुबह चन्द्रमौलिश्वर का पूजन किया गया। बाबा को कत्थई रंग के वस्त्र धारण करवाए गए। उमा महेश स्वरूप का श्रृंगार कर मुकुट, मुंड व फलों की माला धारण कराई गई।
सातवां दिन: होल्कर स्वरूप
सुबह चन्द्र मौलेश्वर का पूजन किया गया। लाल रंग के वस्त्र धारण करवाए गए। होलकर का श्रृंगार कर बाबा को मुकुट, मुंडमाल व फलों की माला धारण कराई गई।
आठवां दिन: शिव तांडव
इस दिन महाकालेश्वर का शिव-तांडव स्वरूप में श्रृंगार किया गया। भगवान को वस्त्र, कुंडल, चंद्रमा, चांदी की नरमुंड और फलों की माला धारण कराई गई।