कोरोना के कारण बीते दो सालों से सामाजिक संगठनों की गतिविधियां बंद थीं, लेकिन अब कोरोना संक्रमण कम होने से फिर से सामाजिक संगठन सक्रिय हो गए हैं।
मृत्यु भोज व दहेज प्रथा को रोकने पर कामयाब रहा सिंधी समाज के पदाधिकारी एक बार फिर घर-घर जाकर समाज के लोगों से मृत्यभोज बड़े स्तर नहीं कराने का आग्रह करेगा। वहीं ब्राह्मण, गुजराती व साहू समाज मृत्युभोज पर प्रतिबंध लगाने के लिए जागरुकता अभियान एक मार्च मंगलवार से चलाएंगे। साथ ही दहेज प्रथा को रोकने के लिए भी अपील करेंगे…
-सिंधी समाज : पूज्य सिंधी पंचायत ने चार साल पहले मृत्युभोज पर प्रतिबंध लगाया था। पंचायत काफी हद तक मृत्युभोज रोकने में कामयाब भी रही। पहले सिंधी समाज में बड़े स्तर पर मृृत्युभोज के आयोजन होते थे। अपनों के खोने के गम भी लोगों को मृत्यभोज में पैसे खर्च करने पड़ते थे। ऐसे लोग जो संपन्न होते थे, वो शादी-समारोह जैसा मृत्युभोज का आयोजन कराते थे। इन्हें देखते हुए बाकी मध्यम व निर्धन लोगों को भी अपनों की मृत्यु के बाद कर्जा लेकर मृत्यभोज कराने की प्रथा बढ़ रही थी। अब परिवार के सदस्यों तक ही मृत्युभोज सीमित हुआ है। दहेज प्रथा रोकने के लिए भी लोग जागरूक हो रहे हैं।
अभियान में यह करेंगे : पूज्य सिंधी पंचायत के महासचिव माधू चांदवानी ने बताया कि एक मार्च से फिर से अभियान चलाएंगे। समाज के ऐसे कुछ लोग जो अब भी बड़े स्तर पर मृत्युभोज करते हैं, उन्हें समझाएंगे। दहेज नहीं लेने की भी अपील करेंगे। कोरोना के कारण घर-घर जाकर अभियान बंद था, जिसे फिर से शुरू करेंगें।
-गुजराती समाज : मृत्युभोज न हो। इसके लिए गुजराती भवन निश्शुल्क देना बंद कर दिया है। बड़े स्तर पर शादी-समारोह की तहर मृत्यभोज दुख की घड़ी में ठीक नहीं है। विधि-विधान से पूजा पाठ, कुछ कन्याओं, ब्राह्मणों सहित परिवार के कुछ लोगों तक आयोजन सीमित करने के लिए गुजराती समाज जागरुगता अभियान चलाता आ रहा है। पांच सालों से दहेज नहीं लेने के लिए समाज के लोगों में गुजराती समाज अभियान चला रहा है। कोरोना काल में अभियान बंद था, जिसे फिर से शुरू किया जाएगा।
ऐसे चलेगा अभियान : गुजराती समाज के अध्यक्ष संजय पटेल ने बताया कि एक दर्जन से अधिक पदाधिकारी शहर में रहने वाले गुजराती समाज के लोगों के घर जाएंगे। उन्हें बड़े स्तर पर मृत्युभोज का आयोजन नहीं करने का हाथ जोड़कर आग्रह करेंगे। इंटरनेट मीडिया के जरिए भी मृत्युभोज व दहेज प्रथा को बंद करने के लिए प्रचार-प्रसार किया जाएगा।
-ब्राह्मण समाज : कोरोना काल से पहले ब्राह्मण एकता अस्मिता सहयोग मंच ने समाज में मृत्यभोज बड़े स्तर पर जिनमें अधिक संख्या में लोग शामिल होते हैं, उनका आयोजन नहीं कराने के प्रति जागरुकता अभियान शुरू किया था। कई लोगों ने बात भी मानीं। छोटे स्तर पर मृत्युभोज का आयोजन करने लगे। कोरोना के कारण जागरुकता अभियान बंद हो गया था। इसे अब मंच फिर से शुरू करने जा रहा है। एक मार्च अभियान शुरू किया जाएगा। शहर में रहने वाले ब्राह्मण समाज के लोगों को सिर्फ ब्राह्मण व कन्याओं को भोजन करने तक मृत्यभोज को सीमित करेंगे। दहेज प्रथा पूरी तरह से बंद समाज में बंद होगी।
अभियान के लिए बनाई समिति : ब्राह्मण एकता अस्मिता सहयोग मंच के अध्यक्ष राकेश चतुर्वेदी ने बताया कि मृत्यभोज व दहेज प्रथा के खिलाफ एक मार्च से अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए दो दर्जन समाज के लोगों की टीम बनाई गई है। मंच के सभी पदाधिकारी व सदस्यों की मदद से जागरुकता अभियान चलाया जाएगा।
साहू सामज : मृत्युभोज कराने के लिए पुराने शहर की घोड़ा नक्कास साहू समाज की शाखा भवन देना बंद कर दिया है। 50 साल उम्र तक लोगों की मृत्यु पर मृत्युभोज पर प्रतिबंध लगाया है। दहेज प्रथा को रोकने के लिए समय-समय पर अभियान चलाए जा रहे हैं। कोरोना कम होने से अब एक बार फिर समाज के पदाधिकारियों ने मृत्युभोज व दहेज प्रथा के खिलाफ अभियान चलाने का निर्णय लिया है। इसके लिए
घर-घर जाकर समझाएंगे : साहू समाज घोड़ा नक्कास शाखा के अध्यक्ष अनिल कुमार अकेला ने बताया कि कोरोना काम होने से सभी तरह की पाबंदियां हट गई हैं। ऐसे में घर-घर जाकर मृत्युभोज बड़े स्तर पर नहीं कराने पर समाज के लोगों को समझाएंगे। दहेज न देने व न ही लेने के लिए समाज के लोगों से अपील करेंगे।