गोहद के सर्वा में रहने वाले बीएसएफ गुवाहटी मिजोरम में पदस्थ 35 वर्षीय शैलेंद्र सिंह तोमर का उपचार के दौरान निधन हो गया।
वह कुछ दिन पहले ही छुट्टी लेकर अपने घर आए थे। 24 फरवरी की रात जब वह गोहद से ग्वालियर की ओर जा रहे थे, तभी उनकी बाइक में अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दी थी। दिल्ली के एम्स में उनका उपचार चल रहा था। गुरुवार को उनके पैतृक गांव में सैनिक सम्मान के साथ अंत्येष्टि की गई। उनके 8 साल के बेटे कौशलेंद्र ने अपने पिता को मुखाग्नि दी।
35 वर्षीय शैलेंद्र पुत्र स्वर्गीय सुरेंद्र सिंह तोमर निवासी सर्वा गोहद की वर्ष 2003 में असम राइफल्स में नियुक्ति हुई थी। वर्तमान में वह गुवाहटी के मिजोरम में अपनी सेवाएं दे रहे थे। कुछ दिन पहले ही वह एक माह की छुट्टी लेकर अपने घर आए थे। 24 फरवरी की रात जब वह अपने घर से गोहद की ओर जा रहे थे तभी, बरेठा टोल प्लाजा के पास किसी अज्ञात वाहन ने उनकी बाइक में टक्कर मार दी थी। इस हादसे में वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उन्हें उपचार के लिए ग्वालियर के बिरला अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन उनकी हालत में सुधार न होने के चलते सरपंच निर्मला कमल सिंह तोमर के प्रयासों से उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया। जहां उन्होंने उपचार के दौरान 2 मार्च की सुबह अंतिम सांस ली। दिल्ली से उनके पार्थिव शरीर को सेना की टुकड़ी उनके पैतृक गांव लेकर पहुंची। जहां गुरुवार की सुबह गार्ड आफ आनर के साथ उनकी अंत्येष्टि की गई। इस दौरान कर्नल मुकेश सिंह, एसडीएम शुभम शर्मा, गोहद चौराहा टीआइ ओम प्रकाश मिश्रा सहित अन्य मौजूद रहे।
कुछ ही दिनों में शैलेंद्र का प्रमाेशन होने वाला था: छुट्टी पर आने के बाद शैलेंद्र ने कुछ ही दिनों में प्रमोशन मिलने की खुशखबरी अपने घर के सदस्यों को सुनाई थी, लेकिन क्या पता था कि यह खुशियां जल्द ही मातम में बदल जाएंगीं। शैलेंद्र के चाचा नरेंद्र सिंह तोमर जिला दैनिक कल्याण अधिकारी ग्वालियर दतिया ने बताया कि शैलेंद्र के दो बेटे हैं। बड़ा बेटा कौशलेंद्र आठ साल का है और दूसरा बेटा मितेंद्र पांच साल का है। शैलेंद्र जब पांच साल के थे, तब उनके पिता का निधन हो गया था। तिरंगे में लिपटा हुआ शैलेंद्र का पार्थिव शरीर जैसे ही उनके गांव पहुंचा, वैसे ही सभी की आंख भर आईं। वहीं शैलेंद्र की मां सावित्री देवी और उनकी पत्नी कौशल्या का रो-रो कर बुरा हाल था।