कालिदास अकादमी में पुस्तक यथार्थ का विमोचन सुंदरकांड की योग वेदांतिक व्याख्या पुस्तक के माध्यम से की गई

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उज्जैन । भारत देश ज्ञान का भंडार है। हमारे ऋषि मुनि वैज्ञानिक आधार पर समाज को हजारों वर्ष पूर्व धर्म के माध्यम से ज्ञान दे चुके हैं। यह हमारी कमी या कमजोरी है कि हम उसका पूरा अध्ययन नहीं कर पाते हैं और ना ही समझना चाहते हैं। यह बात तीर्थ एवं मेला प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री माखन सिंह चौहान ने गत दिवस यथार्थ पुस्तक के विमोचन समारोह में कालिदास अकादमी परिसर मैं उपस्थित गणमान्य जनों के समक्ष कही।

आपने कहा कि सुंदरकांड की पूर्ण व्याख्या करते हुए यथार्थ पुस्तक के लेखक रामेश्वर प्रसाद दीक्षित जी ने तथ्यात्मक तरीके से अपनी बात को प्रस्तुत किया है। इसके लिए बधाई के पात्र हैं। बतौर अतिथि मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद के उपाध्यक्ष श्री विभाष उपाध्याय ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वैज्ञानिक आधार पर सुंदरकांड की व्याख्या समाज को नई दिशा प्रदान करेगी इस बात का पूर्ण विश्वास है। आप और हम रामायण गीता व अन्य ग्रंथ पढ़ते जरूर है लेकिन गहराई में जाने का कभी प्रयास नहीं किया। दीक्षित जी ने सुंदरकांड की एक-एक चौपाई पर गहन अध्ययन कर उस उसके वैज्ञानिक तथ्य हम सभी के सामने प्रस्तुत किए हैं। यह पुस्तक निश्चित रूप से सभी के बीच लोकप्रिय होगी। विमोचन समारोह को संबोधित करते हुए विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति श्री डॉ अखिलेश कुमार पांडे ने कहा कि पुस्तक अगर तथ्य पूर्ण हो और उसके वैज्ञानिक आधार हो तो पढ़ने में मजा आता है ओर वह समाज के लिए सही दिशा सूचक होती है। दीक्षित जी ने अथक प्रयास कर सुंदरकांड की तथ्यात्मक व्याख्या की है यह पुस्तक युवा वर्ग के साथ-साथ सभी को एक नया चिंतन प्रदान करेगी। मैं अपनी ओर से पुस्तक की सफलता की अग्रिम शुभकामनाएं प्रदान करता हूं। कार्यक्रम में उपस्थित भाजपा नेता डॉ गुलरेज शेख ने कहा कि इस तरह की तथ्य पूर्ण पुस्तक समाज को नई दिशा प्रदान करने में कारगर साबित होगी। मैं लेखक एवं प्रकाशक दोनों से अनुरोध करता हूं कि इस तरह की पुस्तक सोशल मीडिया पर भी प्रकाशित व प्रसारित करें। सोशल मीडिया के माध्यम से यह पुस्तक और उसके तथ्य आम जनता तक सुलभता से पहुंच पाएंगे। विमोचन समारोह के दौरान लेखक श्री रामेश्वर प्रसाद दीक्षित ने कहा की निश्चित रूप से आप और हम कई बार सुंदरकांड का पाठ करते हैं लेकिन उसके शब्दों के भाव एवं तथ्य को जानने की कभी कोशिश नहीं की। मैं जब भी सुंदरकांड का पाठ करता तो यह सोचता था कि ऐसा कैसे हो सकता है और इसका नाम सुंदरकांड ही क्यों रखा गया जब एक एक चौपाई के शब्द की गहराई में गया और चिंतन मनन के साथ अध्ययन किया तो कई वैज्ञानिक तर्क सामने आए। इसी आधार पर पुस्तक यथार्थ आज हम सबके सामने है। परसेक पब्लिकेशन के श्री जितेंद्र वर्मा ने बताया कि उनका पब्लिकेशन तथ्य परक सामग्री का ही प्रकाशन करता है। सुंदरकांड की योग वेदांतीक व्याख्या वाली पुस्तक यथार्थ सफलता के नए आयाम स्थापित करेगी और समाज को नई दिशा भी प्रदान करेगी। कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथि गया। मंच पर अतिथियों का स्वागत श्री अरुण व्यास, श्रीमती रेणुका श्रोत्रिय, श्रीमती नम्रता तिवारी द्वारा किया गया। अंत में आभार व्यक्त कार्यक्रम के सूत्रधार श्री रितेश श्रोत्रिय द्वारा व्यक्त किया गया।

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