इंदौर आईआईएम का परिसर अब जहरीली गैसों से नहीं होगा प्रदूषित

भारतीय प्रबंध संस्थान (आइआइएम) इंदौर ने पहले अपने परिसर को पालीथिन मुक्त किया, कचरे से खाद बनाई और अब परिसर की हवा को स्वच्छ करने की कोशिश की जा रही है।

संस्थान अपने परिसर में पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहनों पर पूरी तरह रोक लगाना चाहता है। इसके लिए धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक वाहन खरीदे जा रहे हैं।

संस्थान ने तीन दो पहिया वाहन खरीदे हैं। इसके पहले चार पहिया इलेक्ट्रिक वाहन खरीदे गए थे। इनका उपयोग परिसर के मुख्य गेट से पहाड़ी पर स्थित कक्षाओं और दफ्तर तक शिक्षकों और अतिथियों को लाने ले जाने में किया जा रहा है। संस्थान के आडिटोरियम और रहवासी क्षेत्र में जाने के लिए भी इसका उपयोग बढ़ाया जा रहा है। संस्थान के निदेशक प्रो. हिमांशु राय का कहना है कि हम परिसर को पूरी तरह प्राकृतिक करने की कोशिश कर रहे हैं। हरियाली को लगातार बढ़ाया जा रहा है और जिन चीजों से पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है, उनसे दूरी बना रहे हैं। यही कारण है कि इलेक्टि्क वाहनों का उपयोग भी बढ़ाया जा रहा है।

जरूरत के अनुसार बढ़ाई जाएगी वाहनों की संख्या – पेट्रोल और डीजल के वाहनों से निकलने वाले धुएं से कार्बन डाइ आक्साइड, सल्फर डाइ आक्साइड, नाइट्रोजन आक्साइड जैसी घातक गैस और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक कण निकलते हैं। इससे सेहत पर खतरनाक असर पड़ता है। संस्थान विद्यार्थियों को भी इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग करने के लिए प्रेरित कर रहा है। ऐसे वाहनों का बड़े स्तर पर आइआइटी इंदौर भी उपयोग कर रहा है। संस्थान में 30 से ज्यादा इलेक्ट्रिक चार पहिया वाहन हैं। परिसर में प्रोफेसर और अधिकारी भी अपनी कार एक जगह पर खड़ी कर देते हैं और परिसर के विभिन्ना विभागों में जाने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग करते हैं। निदेशक का कहना है कि जरूरत के अनुसार इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या और बढ़ाई जाएगी।

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