MP में करीला मेले में चली गोली – अशोकनगर में लड़कियों के साथ डांस करने मंच पर चढ़े युवक; नशे में रुपए उड़ाते राई नृत्य के बीच की फायरिंग

अशोकनगर के करीला मेले में डांस के दौरान फायरिंग की गई। यहां डांस कर रही लड़कियों के साथ कुछ युवक मंच पर चढ़ गए। पहले जमकर नाचे, फिर युवकों ने रुपए उड़ाते हुए एक के बाद एक कई फायर किए। इस दौरान फिल्म खलनायक का गाना चोली के पीछे क्या है…बजता रहा। मंच पर चढ़े युवक एक-दूसरे को पिस्टल पास करते रहे। इसकी जानकारी पुलिस को लगते ही मंच पर पहुंची और युवकों को फायर करने से रोका।

राधौगढ़ के प्रजापति परिवार ने मां जानकी से बेटे होने की मन्नत मांगी थी। मन्नत पूरी होने पर रंग पंचमी के अवसर पर वह परिवार करीला धाम में राई नृत्य कराने पहुंचा था। तभी युवकों ने गानों पर झूमते हुए फायरिंग कर दी। फायरिंग की आवाज सुनते ही राई नृत्य देख रहे मौजूद लोग तितर-बितर होने लगे। मेले में पहुंचे लोगों का कहना है कि युवक शराब के नशे में थे। इस संबंध में बहादुरपुर थाना प्रभारी जंग बहादुर सिंह तोमर से बात करने की कोशिश की गई तो उनका फोन बंद मिला।

वीडियो में मेले में मंच पर फिल्म खलनायक का चोली के पीछे गाना बजता सुनाई दे रहा है, वहीं गाने पर कुछ युवतियां राई नृत्य कर रही हैं। मंच पर करीब दो दर्जन युवा मौजूद हैं और लड़कियों के साथ डांस कर रहे हैं। डांस करते हुए एक युवक दो बार फायर करता है। इसके बाद पिस्टल साथी को दे देता है। वह भी दो फायर करता है और दूसरा युवक तीसरे को पास कर देता है।

अशोक नगर का प्रसिद्ध करीला मेला

अशोकनगर जिले के मुंगावली तहसील का प्रसिद्ध स्थान करीला धाम है। मान्यता है कि यहां महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में एक गुफा थी, जिसमें सीता जी ने लव कुश को जन्म दिया था। महर्षि वाल्मीकि ने लव कुश का जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया था। उस समय बधाई गीत गाए गए थे और स्वर्ग से अप्सराएं तक उतर आई थीं। हजारों नृत्यांगनाएं भी इस खुशी में जमकर नाची थीं। तभी से राई नृत्य की प्रथा निभाई जा रही है।

जब तक युवतियां नृत्य करती रहीं राधौगढ़ से आए युवक मंच पर रहे और फायरिंग करते रहे।

माना जाता है कि सीता जी ने उस समय कहा था कि अगर किसी ने भी यहां सच्चे मन से संतान प्राप्ति की मन्नत मांगी है तो उसकी यह मन्नत जरूर पूरी होगी। मन्नत पूरी होने के बाद लोग मां जानकी धाम के मंदिर पर रंग पंचमी के दिन राई नृत्य कराने आते हैं। उस मंदिर पर बधाई डोल भी रखा हुआ है। आज भी यहां गुफा के पास में ही मां जानकी लव कुश और महर्षि वाल्मीकि जी की प्रतिमा है।

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