इंदौर में फिलहाल खाद्य पदार्थों की शुद्धता नहीं जांची जा सकेगी। खाद्य वस्तुओं की जांच के लिए तलावली चांदा में बनाई जा रही लैबोरेटरी का काम अधूरा पड़ा है।
इमारत तैयार होने के बाद मशीनें स्थापित करने की कवायद शुरू होगी। अधिकारियों के मुताबिक पूरा काम होने में कम से कम छह महीने लगेंगे। यानी तब तक खाद्य पदार्थों को जांच के लिए भोपाल ही भेजना पड़ेगा।
खाद्य वस्तुओं की जांच के लिए लैबोरेटरी स्थापित करने की मांग को लेकर हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर हुई थी। याचिका में दिए जवाब में शासन ने दावा किया था कि लैबोरेटरी का 80 प्रतिशत काम पूरा हो गया है और जल्दी ही लैबोरेटरी काम करने लगेगी। नईदुनिया की टीम ने जब मौके का जायजा लिया तो पाया कि फिलहाल तो इमारत का निर्माण ही चल रहा है। चार करोड़ 33 लाख रुपये की लागत से बनाई जा रही इमारत का कार्यादेश 13 अगस्त 2020 को दिया गया था। ठेकेदार कंपनी को 15 महीने में काम पूरा करना था, लेकिन 22 महीने बाद भी काम अधूरा है।
आसपास के जिलों को भी मिलेगा फायदा – इंदौर में खाद्य पदार्थों के नमूनों की जांच के लिए लैबोरेटरी नहीं होने की वजह से नमूने जांच के लिए भोपाल भेजे जाते हैं। इंदौर में लैबोरेटरी शुरू होने के बाद नमूनों की जांच यहीं होने लगेगी। इससे श्ाहर समेत उज्जैन, देवास जिलों को भी मिलेगा। सीएमएचओ डा. बीएस सैत्या का कहना है कि लैबोरेटरी का काम चल रहा है। महामारी की वजह से कुछ देरी हुई है। उम्मीद है कि कुछ ही महीने में हम इसे शुरू कर सकेंगे। इसके बाद खाद्य पदार्थों की जांच रिपोर्ट जल्दी मिलने लगेगी।
काफी देरी से आती है रिपोर्ट – इंदौर में समय-समय पर मिलावटखोरों के खिलाफ प्रशासन अभियान चलाता रहता है। अभियान में कई खाद्य पदार्थों में मिलावट होने की शंका में इन्हें जांच के लिए भोपाल भेजा जाता है, लेकिन इनकी रिपोर्ट आने में ही काफी समय लग जाता है।