शिक्षा और संस्कार जन्म से बच्चों में डाले जाते है और जन्म से बच्चों में जो संस्कार मिलते है, वह उम्र भर उनके काम आते है, इसलिए मां ही बच्चों की प्रथम गुरू होती है। यह बात गवली समाज के तत्वावधान में श्री कृष्ण व्यायामशाला बडा गवलीपुरा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन सोमवार को वृंदावन धाम के कथावाचक पंडित बालकृष्ण शास्त्री ने व्यासपीठ से कही। उन्होंने बताया कि श्रीमद् भागवत कथा को पतित पावन, मोक्षदायिनी अमर कथा भी कहा जाता है। इस पुराण में भगवान के 24 अवतारों का वर्णन किया गया है। ध्रुव, प्रह्लाद की कथाओं के माध्यम से बच्चों के संस्कार और शिक्षा की गुणवत्ता की बात भी विस्तार से कही।
उन्होंने कहा कि यदि हमारे देश और धर्म को आगे बढ़ाना है तो माताओं को भी सीता, उर्मिला, यशोधरा, यशोदा, दुर्गा की तरह संतानों को संस्कारवान बनाना होगा।
गौरतलब है कि यहां रात्रि में 8 बजे से 12 बजे तक और दिन में दोपहर 12 से 3 तक श्रीमद् भागवत कथा आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। आखिर में आयोजन समिति के द्वारा आरती की जाकर प्रसादी वितरण की जाती है।