उज्जैन – डिजिटल और स्मार्ट क्लासेस के माध्यम से जैन धर्म की शिक्षा का नया प्रयोग

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उज्जैन।डिजिटल और स्मार्ट क्लासेस के माध्यम से जैन धर्म की शिक्षा और संस्कार का नया कांसेप्ट तैयार किया गया है ताकि बच्चे और युवा जल्द आकर्षित हो इसमें स्कूलों की तरह ही क्लासेस लगाकर बच्चों और युवाओं को पढ़ाया जा रहा है। 6 दिवसीय शिविर का समापन 29 मई को होने जा रहा है। इससे पूर्व बच्चों ने शिविर में क्या सीखा इसकी परीक्षा लेकर उन्हें प्रमाण पत्र भी दिए जाएंगे जैन धर्म की शिक्षा और संस्कार के लिए शिविर तो पहले भी लगते रहे लेकिन उज्जैन में पहली बार बड़े स्तर पर इस तरह का शिविर लगाया गया है।

इसमें डिजिटल और स्मार्ट क्लासेस का कांसेप्ट बनाया यूएसए से आए प्रकाश छाबड़ा और पूजा छाबड़ा ने। बच्चों एवं युवाओं के व्यक्तित्व विकास, मुनिराजों की वाणी को जन-जन तक पहुंचाने, सदाचार, धर्म और सार्थक जीवन जीने की कला सिखाने के उद्देश्य से शिविर का आयोजन किया गया जैन बाल एवं युवा संस्कार शिक्षण शिविर दिगंबर जैन सोशल ग्रुप फेडरेशन के तत्वावधान में किया जा रहा है। इसमें सहयोगी के रूप में उच्च तकनीकी शिक्षा प्राप्त टीचर्स स्मार्ट क्लासेस के माध्यम से बच्चों एवं युवाओं को जैन धर्म की शिक्षा एवं संस्कार दे रहे हैं। इस शिविर को पूरी तरह निशुल्क और 8 से 40 वर्ष के स्टूडेंट्स के लिए रखा गया है।

फेडरेशन के सचिव पंकज जैन ने बताया कि वर्तमान परिवेश में हर समाज के युवाओं की क्या स्थिति है, हम सबको पता है। अगर हम इन युवाओं को बचपन से ही संस्कारित करेंगे उनके व्यक्तित्व का विकास करेंगे और सदाचार का पाठ पढ़ाएंगे तो वे अपने परिवार और समाज के साथ पूरे देश का नाम गौरवान्वित करेंगे शिविर का समापन २९ मई को होगा। इस दिन शाकाहार रैली निकाली जाएगी जो लोकमान्य तिलक स्कूल से दिगंबर जैन पंचायती मंदिर पहुंचेगी जहां पर समापन होगा।

शिविर हाइलाइट्स

स्मार्ट क्लासेस द्वारा पावर पाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से आसान तरीके से धार्मिक शिक्षा।प्रोफेशनल एवं उच्च शिक्षा प्राप्त युवा टीचर्स द्वारा नई जनरेशन के अनुरूप धर्म को समझाने का आधुनिक एवं सरल तरीका प्रतिदिन प्रश्नोत्तर के साथ पुरस्कार वितरण प्रतिदिन शुद्ध एवं सात्विक स्वल्पाहार विभिन्न आयु वर्ग के लिए अलग-अलग लेवल की क्लासेस।

शिविर के दैनिक कार्यक्रम

प्रात: 7 से 8 बजे अभिषेक पूजन

प्रात: 8 से 8.30 स्वल्पाहार

प्रात: 8.30 से 11 कक्षाएं एवं प्रश्न उत्तर

रात्रि 8 से 8.45 सामूहिक कक्षा

रात्रि 8.45 से 9.45 सांस्कृतिक कार्यक्रम

जैन धर्म की पूजा पद्धति को सिखाया

जयपुर में इस तरह का शिविर 8 सालों से लग रहा है। इंदौर में भी लगाया जाता है। स्कूल के परिवेश में बच्चों को शिक्षा दी जाती है ताकि वे जल्द से सीख और समझ सके। इसमें बच्चों को जैन धर्म की पूजा पद्धति को भी सुरों के माध्यम से सिखाया जा रहा है। 45-45 मिनट की अलग-अलग क्लास लगाई जाती है।अभिषेक जैन, टीचर, इंदौर।

सदाचार में जीवन व्यतीत हो

शिविर में बताया जाता है कि प्रतिदिन मंदिर जाना चाहिए। जैन धर्म अहिंसा पर बल देता है। सदाचार में जीवन व्यतीत किया जाना चाहिए। रवींद्र शास्त्री, टीचर, छतरपुर।

बच्चे बड़े हो तो शिक्षा और संस्कार काम आएं

युवा बाल संस्कार शिविर में बच्चों के साथ ही युवा पीढ़ी को भी बेसिक से धर्म और संस्कार के बारे में सिखाया जाता है। पहले जैन मंदिर में पाठशाला लगती थी। अब इस तरह के शिविर लगाए जा रहे हैं। ताकि बच्चे जैन धर्म को जाने और बड़े होने पर यह शिक्षा और संस्कार उनके काम आएं। पूजा छाबड़ा, टीचर, इंदौर।

हमारा उद्देश्य बच्चे अच्छे नागरिक बनें

इंदौर, ग्वालियर, भिंड सहित बुुंदेलखंड तथा दिल्ली और गुजरात में भी इस तरह के संस्कार शिविर लगाए जाते हैं। उद्देश्य है कि बच्चों में अच्छे संस्कार आए। प्रतीक शास्त्री, टीचर, सागर।

जीवन में सबसे महत्वपूर्ण है शांति और सुख…

शिविर के संयोजक प्रकाश छाबड़ा ने चर्चा में बताया कि मेरा परिवार पूर्व में उज्जैन में रहता था। यहीं से मैंने शासकीय इंजीनियर कॉलेज से डिग्री ली। इसके बाद यूएस में मास्टर डिग्री के लिए गया और वहीं पर माइक्रोसाफ्ट में जॉब करने लगा। 1999 से 2006 तक यूएस में रहा। धर्म के प्रति रूचि पहले से ही थी।

एकांत मिला तो धार्मिक अध्ययन अधिक करने लगा। जीवन में सबसे महत्वपूर्ण है शांति और सुख। मैं इसी में इनवाल्व होना चाहता था। अंतत: 2006में फायनेंशियली रिटायर्ड होकर वापस भारत आ गया। यहां पर बच्चों और युवाओं को जैन धर्म की शिक्षा और संस्कार के लिए प्रेरित करने के लिए शिविर का माध्यम अपनाया। इसमें स्मार्ट क्लासेस से शिक्षा दी जा रही है जिसे बच्चे और युवा पसंद कर रहे हैं। इस तरह के शिविर भोपाल, इंदौर, अकोला, बैंगलोर, पूना, विदिशा, ग्वालियर आदि शहरों में लगाए जा रहे हैं।

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