3 साल बाद धार नगरपालिका शासन से प्राप्त निर्देशों के तहत उपभोक्ता शुल्क को बढ़ाने की तैयारी में लगी है। पीआईसी में इस प्रस्ताव पर मोहर लग चुकी है। निकाय उपभोक्ता शुल्क में करीब् 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने वाला है। इस बढ़ोतरी से पेयजल सहित स्वच्छता संबंधी व्यवस्थाओं के शुल्क में आंशिक बढ़ोतरी होगी। हालांकि इसके बावजूद नगरपालिका की वित्तीय स्थिति में कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला है। दरअसल आमदनी चवन्नी और खर्चा रूपया की तर्ज पर बुनियादी सुविधाओं को मुहैया कराया जा रहा है। नतीजे में प्रतिवर्ष निकाय को जेब से करोड़ों रुपए खर्च करना पड़ रहे हैं।
पेट्रोल-बिजली-डीजल दाम दोगुने हुए
धार नगरपालिका पेयजल सप्लाय और स्वच्छता संबंधी व्यवस्थाओं पर साल के करीब 15 करोड़ रुपए खर्च कर रही है। इसके एवज में उसे शुल्क के रूप में 5 करोड़ रुपए भी नहीं मिल पा रहे हैं। यही कारण है कि नगरपालिका लगातार आर्थिक मोर्चांे पर जुझती जा रही है। जिसका असर कर्मचारियों के वेतन से लेकर विद्युत बिलों के भुगतान सहित अन्य भुगतानों पर भी हो रहा है। निकाय व्यवस्थाओं को मुहैया कराने के बदले में मुनाफा कमाना तो दूर करोड़ों का घाटा उठा रही है। इस तरह की स्थिति सभी निकायों में उत्पन्न हो गई है। दरअसल बीते कुछ सालों में पेट्रोल-डीजल और विद्युत दरों में इजाफा हुआ है। इसका असर इसके उपयोग से जुड़े प्रत्येक सेक्टर में देखा जा रहा है। ट्रांसपोर्टेशन, यात्री परिवहन सहित कई सेक्टरों में शुल्क बढ़ोतरी हुई है। इधर नगरपालिका जैसे बुनियादी सुविधा मुहैया कराने वाले संस्थान करोड़ों का घाटा उठाते हुए सीमित शुल्क में सुविधाओं को मुहैया करवा रही है।


