शौचालय के उपयोग पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित।

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उज्जैन। जन शिक्षण संस्थान उज्जैन के द्वारा स्वच्छता पखवाड़े के अंतर्गत 29 जुलाई को शौचालय का उपयोग जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन संस्थान की निदेशक अनिता सक्सेना के निर्देशन में शा.मा.वि. स्कूल दमदमा उज्जैन में किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में महेश व्यास प्रभारी एच.एम., सुनील कुमार वर्मा शिक्षक एवं स्टाफ उपस्थित था। महेश व्यास ने छात्रों को बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में खुले में शौच करना एक पुरानी अस्वस्थ्य आदत है। कई लोगों को स्वच्छता एवं स्वास्थ्य के संबंध के बारे में पूर्ण जानकारी नहीं है परन्तु बहुत सारे अध्ययनों से पता चला है कि 80 प्रतिशत बीमारिया का कारण अस्वच्छता ही है। एक ग्राम मल में एक करोड़ वायरस तथा 10 लाख बैक्टीरिया होते हैं। ये वायरस एवं बैक्टीरिया मक्खी के साथ भोजन के माध्यम से मनुष्यों में प्रवेश कर बीमारी फैलाते हैं। इसके अलावा शौचालय के अभाव मे महिलाओं को विशेषकर सबसे अधिक कठिनाई होती है, जिन्हें अंधकार होने का इंतजार करना पड़ता है तथा सार, बिच्छू आदि से काटने का तथा उनके सम्मान का खतरा भी बना रहता हैं। बच्चों के शौच के बारे में भी कुछ भ्रान्तियाँ है कि यह हानिकारक नहीं होता है। परन्तु ऐसी बात नहीं है यह भी वयस्क के मल की तरह हानिकारक होता है। बच्चों में पोलियों का वायरस भी खुले में किये गये शौच के माध्यम से फैलता है। इसी क्रम में कस्तूरबा गांधी छात्रावास दशहरा मैदान क्रमांक 1 में आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में महेश नागर शिक्षक, पिंकी जाट शिक्षक, राखी चन्द्रावत सहा. वार्डन उपस्थित थे। महेश नागर द्वारा छात्राओं को शौचालय के उपयोग के बारे में बताते हुए कहा कि मानव मल के समुचित निपटान का सबसे सुरक्षित साधन स्वच्छकर शौचालय हैं। खुला मानव मल संक्रमण फैलाने और बीमारियों का कारण है और जब इसके साथ पानी, हवा और धूप का मिलान होता है तो यह और अधिक हानिकारक हो जाता है। सुरक्षित मानव मल का निपटान होना, जलस्रोत के प्रदूषण का मुख्य कारण है, क्योंकि यही मक्खी और अन्य कीटाणुओं के पनपने का आधार है एवं इनके द्वारा गन्दगी एवं किटाणु फैलते भी हैं। जल-बन्द स्वच्छकर शौचालय एक ऐसा विकल्प है जो बीमारी पैदा करने वाले किटाणु को फैलने में अवरोध पैदा करता है, जिसमें मानवमल मक्खी के सम्पर्क में आता है, और मल का निष्पादन स्वच्छ तरीके से होता है। इससे वातावरण दूषित नहीं होता है। इस तरीके से जल-बंद शौचालय ही स्वच्छकर शौचालय का सबसे आसान विकल्प है। सहा.कार्यक्रम अधिकारी पंवार मेडम के निर्देशन में मताना, पानबिहार में भी शौचालय का उपयोग जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में दिलीप सिंह चावड़ा, निलेश बौरासी, प्रशिक्षका जानकी माथुर, रिजवाना मंसूरी, सुनील कछोटिया, नाथूराम वर्मा एवं जे.एस.एस. स्टॉफ एंव कुल 90 छात्र एवं छात्राएं उपस्थित थे।

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