जिला मुख्यालय पर अनुसूचित जनजाति समाज के लिए बना सामुदायिक भवन अपनी दयनीय स्थिति पर आंसू बहा रहा है। मरम्मत नहीं होने के कारण लाखों रुपए की लागत से बना यह भवन अनुपयोगी साबित हो रहा है। सामुदायिक भवन का निमार्ण करीब 25 लाख की लागत से वर्ष 2006-07 में किया गया था, जिससे कि जनजाति वर्ग के लोगों के विभिन्न आयोजन आसानी से हो सके। लेकिन मरम्मत नहीं होने के चलते यह अनुपयोगी साबित हो रहा है। प्रशासन इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता ही महसूस नहीं कर रहा है।
2017 में कलेक्टर ने शासन को भेजा था पत्र
गौरतलब है कि अनुसूचित जनजाति सामुदायिक मांगलिक भवन की मरम्मत / लघुमूल कार्य के लिए वर्ष 2017 में तत्कालीन कलेक्टर ने इस संबंध में पत्र प्रेषित किया था। जिसमें उन्होंने उल्लेख किया था कि वर्तमान में भवन में मरम्मत कराने की आवश्यकता है। मरम्मत के अभाव में अनु जनजाति वर्ग के सामाजिक / धार्मिक कार्यो के लिए भवन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। वर्तमान में समस्त आदिवासी समाज संगठन, बैतूल द्वारा प्रभारी मंत्री को शिकायत कर सामुदायिक मंगल भवन की उचित मरम्मत का अनुरोध किया गया है। कार्य की प्राक्कलन के आधार पर राशि रु 9.05 लाख की मांग की गई थी। मप्र शासन आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति कल्याण विभाग, भोपाल के आदेश के अनुसार भवन का निर्माण कार्य कार्य एजेंसी मप्र गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मंडल के द्वारा किया जाकर वर्ष 2008-09 में विभाग को हस्तांतरित किया गया था।
अन्य ब्लॉक के भवनों की स्थिति बेहतर
इस मामले में आदिवासी संगठनों का कहना है कि बैतूल, आठनेर, चिचोली सहित अन्य ब्लाक में शासन ने आदिवासियों को सामुहिक कार्यक्रम, बैठक आयोजित करने के लिए भवन प्रदाय किया था। अन्य विकास खंड के मंगल भवनों की स्थिति बैतूल से बेहतर हैं। चिचोली, आठनेर के मंगल भवन में आज भी बैठकें संचालित होती हैं।