अतिक्रमण हटाने के नाम पर निगम की रिमूवल गैंग के कर्मचारी दादागिरी कर रहे हैं। मामला यह कि सुबह ही निगम की बाजार वसूली टीम ने पर्ची काटी और दोपहर में निगम का रिमूवल गैंग पहुंच गई। चंचल पंवार और उसके साथियों ने ताबड़तोड़ सामान और टेबलें गाड़ी नंबर एमपी 13 जीए 7848 में डाल दी।
व्यापारी विकास परिहार, विनोद परिहार, पंकज और नीतेश प्रजापत ने बताया सुबह ही अलग-अलग दुकानों की करीब 400 रुपए की पर्ची कटवाई। फिर भी गैंग हमारा सामान समेट कर ले गई। दुकानदार को सामान कहां से मिलेगा, यह नहीं बताया। न ही सामग्री का हिसाब है। इसका पंचनामा तक नहीं बनाया गया।
गैंग प्रभारी तक मौके पर नहीं थे
निगम की टीम नियमों का खुद मखौल उड़ाते हुए कार्रवाई कर रही है। चरक अस्पताल के सामने की कार्रवाई में भी ऐसा ही सामने आया। दुकानों पर 8 से 10 लोग पहुंचे और सामान उठाकर गाड़ी में डाल लिया। अतिक्रमण हटाओ मुहिम की प्रभारी नीता जैन को कार्रवाई के बारे में पता ही नहीं था।
वे इससे अनजान थीं। वहीं गैंग प्रभारी भी कार्रवाई के दौरान मौजूद नहीं थे। प्रभारी जैन को स्पॉट के बारे में बताया तो जैन बोलीं एमआईसी सदस्य डॉ. योगेश्वरी राठौर के कहने पर टीम को भेजा था। मौके पर बगैर निगम की यूनिफार्म में बगैर पहचान बताए गाड़ी में सामान समेट लाए।
कानूनन अपराध की श्रेणी में आता है, दर्ज हो सकता है प्रकरण
नि गम की तरफ से अगर रोज पर्ची कटती है तो उसे हटाया नहीं जा सकता। बगैर पंचनामा बनाए अफसर या अन्य के खिलाफ धारा 506 के तहत गुंडागर्दी का केस दर्ज कर सकते हैं। उपभोक्ता पर्ची के साथ थाने में आवेदन दे। अगर सुनवाई नहीं होती तो सीधे उपभोक्ता न्यायालय में केस दर्ज किया जा सकता है। कार्रवाई के दौरान निगम के प्रथम रैंक के अफसर का होना आवश्यक है, अगर वह उपस्थित नहीं है तो कार्रवाई का भी प्रावधान नहीं है।
-स्वप्निल गेहलोत, उपभोक्ता मामलों के विशेषज्ञ अभिभाषक
जब्ती का नहीं कहा
“सामान जब्त करने के लिए मैंने नहीं कहा। चरक की एम्बुलेंस को निकलने में कोई परेशानी न हो, व्यापारियों को पीछे करने के लिए बोला था। अफसरों ने कैसी गड़बड़ी की, मुझे नहीं मालूम। सक्षम अधिकारी का होना जरूरी है।”
-डाॅ. योगेश्वरी राठौर, एमआईसी सदस्य ननि