मध्यप्रदेश में मौसम के तेवर ठंडे पड़े-भोपाल, इंदौर और जबलपुर में दिन में भी सर्दी,तीन दिन बाद कड़ाके की ठंड

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सागर, नर्मदापुरम और इंदौर में में न्यूनतम तापमान सामान्य से काफी नीचे चले गए हैं, जबकि शेष संभागों में सामान्य से कम रहे। सबसे कम पारा उमरिया, बैतूल, मलाजखंड और खजुराहो में 8 डिग्री तक आ गए हैं। अगले 72 घंटे तक मौसम में ज्यादा बादला नहीं होगा। तीन दिन बाद प्रदेश भर में कड़ाके की ठंड पड़ने लगेगी।

25 से बदलेगा मौसम

मौसम वैज्ञानिक वेद प्रकाश सिंह ने बताया कि अभी एक वेस्टर्न डिस्टर्बन्स सक्रिय है। इसके कारण अगले दो-तीन दिन इसी तरह ठंड बनी रहेगी। इसके साथ ही ईरान के ऊपर के ऊपर एक वेस्टर्न डिस्टर्बन्स बना हुआ है। इसके कारण 25 नवंबर से प्रदेश भर में न्यूनतम तापमान तेजी से गिरेंगे। भोपाल और इंदौर समेत अधिकांश इलाकों में यह 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे यानी 9 डिग्री तक गिर सकते हैं। यह स्थिति 25 नवंबर से 28 नवंबर तक रहेगी।

23-24 को हल्की राहत रहेगी

मौसम विभाग के अनुसार चौबीस घंटे बाद ठंड से हल्की राहत मिलेगी। अगला सिस्टम बनने के कारण दिन और रात के तापमान में हल्की बढ़ोतरी होगी, लेकिन यह बहुत ज्यादा नहीं रहेगी। हालांकि ठंड से हल्की राहत रहेगी। अभी प्रदेश के कुछ इलाके शीत लहर की चपेट में आ गए हैं। आने वाले समय में कई इलाकों में शीतलहर का प्रकोप बढ़ेगा। तीन दिन बाद नया सिस्टम से मध्यप्रदेश में अच्छी ठंड का दौर शुरू हो जाएगा।

सामान्य से 5 डिग्री तापमान कम होने पर शीतलहर चलती है

रिटायर्ड मौसम वैज्ञानिक डीपी दुबे ने बताया कि शीतलहर (कोल्ड वेव) न्यूनतम तापमान कम से कम 10 डिग्री सेल्सियस होना जरूरी है। इसके साथ ही तापमान सामान्य से 5 डिग्री तक नीचे होना चाहिए। यानी मान लो भोपाल में रात का पारा आज सामान्य 14 डिग्री होना चाहिए और वह 9 डिग्री सेल्सियस पहुंच जाता है, तो शीतलहर चलती है। अति शीतलहर में सामान्य से 7 डिग्री सेल्सियस गिरना चाहिए। इसी तरह शीतलहर (कोल्ड डे) इसमें अधिकतम तापमान सामान्य से 5 डिग्री कम होना चाहिए। अधिकतम तापमान कम से कम 15 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए।

शीतलहर के नुकसान

  • मानव व पशुओं, जीव जंतु का ठंड के कारण जान जाती है।
  • शीतलहर में लोग अधिक बीमार पड़ते हैं।
  • अत्यधिक ठंड पड़ने के कारण मोटर व वाहन खराब हो सकते हैं।
  • शीतलहर में लोग की कार्य क्षमता प्रभावित होती है।
  • ठंडी के मौसम में लगी हुई आग और भयानक हो जाती है क्योंकि उसमे ऑक्सीजन अधिक मात्रा में रहता है।
  • अधिक शीतलहर से फसलों को नुकसान होता है।
  • अत्यधिक ठंड पड़ने के कारण पशुओं को खाने के लिए चारा नहीं मिल पाते हैं जिसके कारण ही पशुओं की जान जाती है।

मौसम विभाग की सलाह

डीपी दुबे ने बताया कि शीतलहर के दौरान अधिक समय तक ठंड के संपर्क में रहने से बचना चाहिए। ढीली, हल्के वजन कई सतहों वाले गर्म ऊनी कपड़े पहना चाहिए। सिर और गर्दन और हाथों को अच्छे से ढक के रखें।

नरसिंहपुर में सामान्य से 6 डिग्री पारा गिरा

मध्यप्रदेश में अभी नरसिंहपुर में तापमान सबसे तेजी से लुढ़क रहे हैं। यहां दिन का पारा सामान्य से 6 डिग्री सेल्सियस कम यानी 25 डिग्री सेल्सियस पर आ गया है। इसके अलावा खजुराहो, बैतूल, नौगांव, रीवा, सिवनी, भोपाल, दतिया, धार, इंदौर, खंडवा और रतलाम में दिन का सामान्य पारा 3 डिग्री सेल्सियस से भी कम चल रहा है।

चौबीस घंटे में एक डिग्री सेल्सियस कम हुआ दिन का पारा

मध्यप्रदेश में सीजन में पहली बार प्रदेश भर में दिन का पारा 29 डिग्री सेल्सियस से नीचे आ गया है। अधिकांश इलाकों में यह 25 से 26 डिग्री तक रहा। चौबीस घंटों के दौरान एक डिग्री और कम हो गया। सिर्फ सीधी में ही यह सबसे ज्यादा 28.8 डिग्री सेल्सियस रहा। इसके अलावा प्रदेश में यह 29 डिग्री से नीचे ही रहा। अधिकतम तापमान सामान्य से 4 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला गया है।

सुबह-शाम धुंध ज्यादा रहने लगी

अब दिन और रात के तापमान में गिरावट के कारण सुबह के समय धुंध बढ़ जाएगी। सुबह के समय ओस भी रहेगी। इस कारण भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और मंडला में अब दृश्यता 2 किलोमीटर रहने लगी है। प्रदेश के अधिकांश इलाकों में दृश्यता 4 किलोमीटर तक रह गई है। दिन और रात के समय अब धुंध के कारण दृश्यता और कम होगी।

चार महानगरों में ग्वालियर में दिन का पारा सबसे ज्यादा

चार महानगरों की बात की जाए तो अब जबलपुर सबसे सर्द हो गया है। यहां दिन का पारा 25.5 डिग्री सेल्सियस रहा। भोपाल दूसरे, इंदौर तीसरे और ग्वालियर चौथे नंबर पर है। हालांकि चार जगहों अधिकतम तापमान 25 से 27 डिग्री के बीच रिकॉर्ड किया गया।

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