सागर की महार रेजीमेंट सेंटर की सैन्य ट्रेनिंग के फर्जीवाड़ा मामले में 6 साल बाद न्यायालय ने फैसला सुनाया है। फर्जी दस्तावेज के आधार पर सेना भर्ती में नौकरी पाने वाले आरोपियों को द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश शिव बालक साहू की कोर्ट ने दोषी पाते हुए 10-10 वर्ष सश्रम कारावास और 14-14 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। शासन की ओर से मामले की पैरवी अपर लोक अभियोजक आशीष चतुर्वेदी ने की।जिला अभियोजन के मीडिया प्रभारी एडीपीओ सौरभा डिम्हा ने बताया कि 14 जून 2016 को सूबेदार कानसिंह राजपूत ने थाना कैंट में शिकायती आवेदन दिया था। जिसमें बताया था कि मुकेश कुमार (21) पुत्र बुजनराम हाल निवासी वल्लभगढ़ मूल निवासी झुंझनू राजस्थान, मनदीप सिंह (20) पुत्र नवरंग सिंह जाधव हाल निवासी पलवल मूल निवासी जिला अलवर राजस्थान, अजय (20) पुत्र शिखरसिंह राजपूत निवासी फरीदाबाद हरियाणा और लोकेशकुमार (19) निवासी पलवल हरियाणा ने फर्जी दस्तावेज लगाकर आर्मी में नौकरी प्राप्त की है। आवेदन के आधार पर कैंट थाना पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में प्रकरण दर्ज कर जांच में लिया।
दिल्ली में आरोपी गिरीराज ने दिए थे फर्जी दस्तावेज
प्रकरण में जांच करते हुए पुलिस ने सूबेदार कानसिंह और साक्षी लखविंदर सिंह, राकेश मौर्य के बयान लिए। जिसमें सामने आया कि आरोपियों द्वारा फर्जी दस्तावेज रहदारी फार्म, मेडिकल सर्टिफिकेट पेश कर ट्रेनिंग बटालियन महार रेजीमेंट में भर्ती होने का प्रयास किया गया। यह फर्जी दस्तावेज आरोपियों ने दिल्ली स्टेशन से लिए थे और सागर महार रेजीमेंट में पेश किए।
जांच के दौरान पुलिस ने मामले में आरोपियों को फर्जी दस्तावेज देने वाले दिल्ली की 105 टीए बटालियन के हवलदार आरोपी गिरिराज सिंह को गिरफ्तार किया। सागर लाकर उससे पूछताछ की गई। पूछताछ में आरोपी ने बताया था कि 24 जून 2016 को रेलवे स्टेशन दिल्ली पर आरोपी से मिला था जो मेरे रिश्तेदार है। उनसे आर्मी में भर्ती के लिए 5-5 लाख रुपए लिए थे। रहदारी फार्म और मेडिकल सर्टिफिकेट लेकर महार रेजीमेंट में आमद देने भेजा था, जो पैसा आरोपियों से लिया था वह अपने निजी उपयोग में खर्च कर लिया है।
साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने सुनाई सजा
मामले में जांच करते हुए पुलिस ने आरोपियों के कूटरचित रहदारी फार्म, प्राइमरी मेडिकल एक्जामिनेशन फार्म जब्त किए। जिनका मिलान सेना द्वारा दिए गए असली रहदारी प्रमाण-पत्र और मेडिकल फार्म से किया गया तो आरोपियों द्वारा दिए गए दस्तावेज फर्जी निकले। आरोपियों के संबंध में पत्र व्यवहार कर आईआरओ दिल्ली कैंट 10 से जानकारी ली गई। जिसमें आरोपियों का किसी प्रकार का चयन सेना में नहीं किए जाने संबंधी लिखित जानकारी प्राप्त हुई।
आरोपियों द्वारा पेश रहदारी फार्म व मेडिकल एक्जामिनेशन फार्म का फर्जी होना बताया गया। जिसके बाद पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471, 120बी का चालान न्यायालय में पेश किया। कोर्ट ने प्रकरण में सुनवाई शुरू की। सुनवाई के दौरान अभियोजन ने साक्षियों और संबंधित दस्तावेजों को कोर्ट में पेश किया। न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आरोपियों को 10-10 साल की सजा सुनाई है।