इंदौर में लॉ कालेज के विवाद के मामले में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर एक उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया गया है। इस जांच समिति में दो अतिरिक्त संचालकों को शामिल किया गया है। यह सात सदस्यीय समिति विद्यार्थियों की शिकायतों की जांच करेगी। वहीं इस समिति को सिर्फ तीन दिनों में इस पूरे मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट पेश करनी होगी।
जानकारी के अनुसार विवादित पुस्तक ‘सामूहिक हिंसा एवं दाण्डिक न्याय पद्धति’ की लेखिका फरहत खान घर से फरार है। भंवरकुआं पुलिस ने सभी को पकड़ने के लिए छापे मारे। पुस्तक के प्रकाशक अमर क्षेत्रपाल को इस दौरान पुलिस ने पकड़ लिया है। अमर क्षेत्रपाल अपनी पत्नी के नाम से प्रकाशन का कार्य करता है। मामला दर्ज होने के बाद पुलिस कानून-व्यवस्था में व्यस्त हो गई थी। पुलिस किसी भी आरोपी को पकड़ नहीं सकी थी। सभी आरोपी अब अपनी-अपनी अग्रिम जमानत की जुगाड़ में लगे हुए हैं।
उधर प्रदेश के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि विवादित पुस्तक की लेखिका डॉ. फरहत खान की पी.एच.डी. की डिग्री वापसी के लिए भी कार्यवाही होगी। वहीं लेखिका और प्रकाशक दोनों की गिरफ्तारी के लिए टीमें गठित कर दी गई है।
वहीं लॉ कालेज में विवादित पुस्तक के सामने आने के बाद भंवरकुआं पुलिस द्वारा शनिवार दोपहर लेखिका डॉ. फरहत खान, प्रिंसिपल इमामूल रहमान, प्राध्यापक डॉ. मिर्जा मोजिज और अमर क्षेत्रपाल लॉ पब्लिकेशन के प्रकाशक के खिलाफ केस दर्ज किया था।
गंभीर धाराओं में मामला दर्ज करने के बाद पुलिस कानून-व्यवस्था में व्यस्त हो गई थी। इसलिए एक भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई। पुलिस ने सोमवार को कुछ लोगों की खोजबीन प्रारंभ की तब पता चला लेखिका घर से गायब है, और उसके मकान पर भी ताला लगा हुआ मिला।
बताते चलें कि शिकायतकर्ता लकी आदिवाल ने व्यमनस्ता, धार्मिक उन्माद एवं राष्ट्र की अखंडता, संप्रभुता को बिगाड़ने और छात्रों में राष्ट्र के प्रति नफरत और गृह युद्ध छेड़ने की साजिश बताया है।
वहीं भंवरकुआं टीआई शशिकांत चौरसिया ने बताया है कि लकी का आरोप है कि आरोपियों द्वारा निराधार, असत्य, राष्ट्रविरोधी, लोक प्रशांति को भंग करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले धार्मिक उन्माद फैलाने के इरादे से झूठा और सारहीन बगैर साक्ष्य के हिंदू धर्म के खिलाफ टिप्पणी की गई है।
पुस्तक में लेखक का उद्देश्य मुस्लिम छात्रों में हिंदू धर्म के विरुद्ध नफरत फैलाने की भावनाएं डालकर, देश में आंतरिक गृह युद्ध छेड़कर राष्ट्र की संप्रभुता, आंतरिक सुरक्षा एवं धार्मिक सौहार्द्र पर कुठाराघात है। बता दें कि लेखिका ने विधि कालेज को केंद्र बिंदु बनाया और प्राचार्य डॉ. इमामूल रहमान के माध्यम से छात्रों को विवादित सामग्री परोसी गई। इस कृत्य को शैक्षणिक जिहाद का नाम दिया गया है।
वहीं राष्ट्र विरोधी छात्रों का ब्रेनवाश कर अन्य संगठनों से ट्रेनिंग पाने के लिए उन्हें उकसाया जा रहा है। उन्माद एवं नफरत की भावना जगाकर मुस्लिम छात्रों को देश में गृहयुद्ध छेड़ने के प्रति प्रेरित किया जा रहा। पुस्तकें पढ़ने के लिए शिक्षकों द्वारा दबाव बनाया जा रहा।
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