6 मार्च को वृश्चिकी भद्रा में होगा होलिका का पूजन-अर्चन, प्रदोष काल पूजा में कोई दोष नहीं

0
138

उज्जैन । पंचांग की गणना के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर होलिका की पूजन की मान्यता है। इस बार 6 मार्च को सोमवार के दिन मघा नक्षत्र व सुकर्मा योग तथा बव करण एवं सिंह राशि के चंद्रमा की साक्षी में होलिका के पूजन का मुहूर्त रहेगा।

विशेष यह है कि होली के दिन प्रदोष काल में पूजन के समय वृश्चिकी भद्रा रहेगी। ज्योतिषियों के अनुसार प्रदोष काल में होलिका की पूजन में भद्रा का दोष मान्य नहीं है। इसलिए शास्त्रोक्त मान्यता अनुसार होलिका का पूजन करना श्रेष्ठ रहेगा।

ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला के अनुसार ज्योतिष शास्त्र में भद्रा को लेकर के अलग-अलग मत हैं । इसमें विशेष तौर पर दो प्रकार की भद्रा मानी जाती है। जिनमें शुक्ल पक्ष में आने वाली भद्रा को वृश्चिकी की संज्ञा दी गई है। वहीं कृष्ण पक्ष की भद्रा को सर्पिणी कहा जाता है। इसी तरह मतांतर से दिन की भद्रा सर्पिणी तथा रात्रि की भद्रा वृश्चिकी मानी गई है। इस दृष्टिकोण से सर्प के मुख में विष रहता है।

अतः सर्पिणी भद्रा का मुख छोड़ देना चाहिए। इसी प्रकार वृश्चिकी बिच्छु की पूंछ में विष रहता है इसलिए वृश्चिकी भद्रा की शुरुआत अर्थात शाम के समय पूजन किया जा सकता है। वैसे भी शास्त्रीय मान्यता तथा अन्य मत के अनुसार जब कोई विशेष अनुक्रम प्रदोष काल से ही संबद्ध हो तो उस समय उसको ग्राह्य कर लेना चाहिए। इस दृष्टि से प्रदोष काल में होलिका पूजन का कोई दोष नहीं है।

पंचांग की गणना में 6 मार्च को होलिका पूजन

ज्योतिर्विद पं.हरिहर पंडया के अनुसार कुछ कैलेंडर में होलिका पूजन की तारीख 7 मार्च निर्धारित की गई है। उज्जैन के दिन मान व पंचांग की गणना से उज्जैन में 6 मार्च को प्रदोष काल में होलिका का पूजन होगा तथा 7 मार्च को रंगों का पर्व धुलेंडी अर्थात होली मनाई जाएगी।

27 फरवरी को लगेगा होलाष्टक

सामान्यतः होलाष्टक 8 दिन के होते हैं किंतु इस बार तिथि के घट बढ़ से कुछ घंटे बढ़ गए हैं जिसके कारण अष्टक 9 दिन का रहेगा। हालांकि यह स्थिति दो दशक में एक बार बनती ही है। इस दृष्टि से होलाष्टक का समय बढ़ेगा इस दौरान साधना तथा अन्य धार्मिक संकल्प साधे जा सकते हैं।

मालवा मध्य प्रांत में होलाष्टक का कोई दोष नहीं

मालवा मध्य प्रांत में होलाष्टक का दोष मान्य नहीं है उसके कारण अलग-अलग प्रकार से ग्रंथ में बताए जाते हैं। उत्तर की ओर बहने वाली नदी की तथा दक्षिण की ओर बहने वाली नदी का अपना-अपना गणित ज्ञान होता है। क्योंकि उत्तर वाहिनी शिप्रा का तट विशेष मान्य है। इसलिए अवंतिका तीर्थ पर होलाष्टक के 8 दिन का कोई दोष मान्य नहीं है। इस दौरान साधना तथा धर्म से संबंधित मांगलिक कार्य संपादित किए जा सकते हैं।

ठाकुरजी की हवेलियों में उड़ रहा भक्ति का गुलाल

पुष्टिमार्गीय वैष्णव संप्रदाय के मंदिरों में वसंत पंचमी से 40 दिवसीय होली उत्सव मनाया जा रहा है। प्रतिदिन राजभोग आरती में भक्ति का गुलाल उड़ रहा है। मुखियाजी ठाकुरजी को गुलाल अर्पित कर रहे हैं। भक्त भी ठाकुरजी के रंग में रंगे गुलाल होली खेल रहे हैं। ठाकुरजी की हवेलियों में रंगभरी एकादशी से गीले रंग से होली खेलने की शुरुआत होगी। फूल बंगले में विराजित ठाकुरजी टेसू के फूलों से बने रंग से होली खेलेंगे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here