रक्षा मंत्री देश की सुरक्षा मुद्दा पर चर्चा करेंगे; INS विक्रमादित्य पर PM कांफ्रेंस कर चुके हैं

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भारत के पहले स्वदेशी प्लेन करियर शिप INS विक्रांत पर पहली बार नौसेना कमांडरों की बैठक होगी। यह बैठक आज समुद्र के बीचोबीच होगी। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह सेना को संबोधित करेंगे। नौसेना के टॉप कमांडरों के साथ देश की सुरक्षा और सैन्य रणनीति को लेकर चर्चा करेंगे।

हिंद महासागर में चीन की बढ़ती एक्टिविटी पर भी चर्चा हो सकती है
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) अनिल चौहान, आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे और एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी भी नौसेना के कमांडरों के साथ बातचीत करेंगे, ताकि तीनों सेनाओं के बीच अच्छा तालमेल बैठ सके। बैठक में पिछले 6 महीनों के दौरान किए गये ऑपरेशन, लॉजिस्टिक, ट्रेनिंग, और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा होगी। इसके अलावा हिंद महासागर में चीन की बढ़ती एक्टिविटी पर भी चर्चा हो सकती है।

मार्च के अंत में अग्निवीरों का पहला बैच INS चिल्का से पास आउट होने वाला है। इसमें महिला अग्निवीर भी शामिल हैं। बैठक में अग्निपथ योजना को लेकर भी बातचीत की जाएगी। यह जानकारी नौसेना ने रविवार को एक बयान जारी करके बताया है।

2015 में INS विक्रमादित्य पर PM मोदी ने कांफ्रेंस की थी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 दिसंबर 2015 को INS विक्रमादित्य पर संयुक्त कमांडर्स कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया था। यह पहला मौका था, जब रक्षामंत्री और तीनों सेनाओं के चीफ सहित टॉप कमांडरों का यह सम्मेलन राजधानी दिल्ली से बाहर समुद्र में हुआ था। बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी मौजूद थे।

देश में बना सबसे बड़ा युद्धपोत है INS विक्रांत, 1600 क्रू, 30 विमान हो सकते हैं तैनात
INS विक्रांत का निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड यानी CSL ने किया है। इसे वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने डिजाइन किया है, जिसे पहले नौसेना डिजाइन निदेशालय के रूप में जाना जाता था। ये भारतीय नौसेना का इन-हाउस डिजाइन ऑर्गेनाइजेशन है।45 हजार टन वजनी INS विक्रांत भारत में बना सबसे बड़ा वॉरशिप है। ये INS विक्रमादित्य के बाद देश का दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर है। विक्रमादित्य को रूसी प्लेटफॉर्म पर तैयार किया गया था।INS विक्रांत के साथ भारत दुनिया के उन कुछ चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जो एयरक्राफ्ट कैरियर को डिजाइन करने और उसे बनाने में सक्षम हैं। इसमें फ्यूल के 250 टैंकर और 2400 कंपार्टमेंट्स हैं। इस पर एक बार में 1600 क्रू मेंबर्स और 30 विमान तैनात हो सकते हैं।त्तरी आयरलैंड के बेलफास्ट में 4 मार्च 1961 की एक सर्द सुबह थी। भारत की उच्चायुक्त विजय लक्ष्मी पंडित ब्रिटेन से खरीदे गए HMS हरक्यूलिस के डेक पर पहुंचीं।

विजय लक्ष्मी ने यहां इंडियन नेवी का झंडा फहराया। नेवी में शामिल होते ही इस एयरक्राफ्ट कैरियर का नाम रखा गया- INS विक्रांत। 31 जनवरी 1997 को नेवी से रिटायर होने तक, 36 सालों में INS विक्रांत ने देश की बड़ी सेवा की। 1971 की जंग में INS विक्रांत ने अपने सीहॉक लड़ाकू विमानों से बांग्लादेश के चिटगांव, कॉक्स बाजार और खुलना में दुश्मन के ठिकानों को तबाह किया था।कई खूबियों से लैस मेड इन इंडिया INS विक्रांत के रूप में नेवी को देश में बना अपना सबसे बड़ा युद्धपोत मिल गया, लेकिन ये युद्ध के लिए तैयार करीब 15 महीने बाद, यानी 2023 के अंत तक हो पाएगा। नेवी के वाइस चीफ ऑफ स्टाफ वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे ने बयान जारी कर बताया था कि नेवी MiG-29K फाइटर प्लेन की विक्रांत पर लैंडिंग का ट्रायल नवंबर 2022 में शुरू करेगी।

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