जन्म के दो सप्ताह बाद से बच्चे को 9 माह तक रोजाना किताब के कुछ पन्ने पढ़कर सुनाने से उनमें भाषाई विकास जल्दी होता है। वे शब्दों को जल्दी समझने लगते हैं। ऐसे बच्चे 9 माह में ही बोलना सीख जाते हैं।
हाल ही में मार्शल यूनिवर्सिटी में एडवर्ड्स स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ता जोन सी के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। शोध के अनुसार रोजाना किताब के कुछ पन्ने पढ़कर सुनाने से 12 महीने और उससे कम उम्र के शिशुओं में बोलने की समझ विकसित हो जाती है।
9 महीने में ही बोलना सीख सकता है बच्चा
अमेरिकन बोर्ड ऑफ फैमिली मेडिसिन के जर्नल में प्रकाशित इस शोध में शामिल कुछ पैरेंट्स को 20 किताबों का एक सेट दिया गया। इसमें विशेष रूप से भाषा के विकास और चित्र वाली किताबें थीं। सभी पैरेंट्स ने हर दो सप्ताह में वेलनेस चेकअप के दौरान बच्चों की ग्रहणशीलता और भाषा के परीक्षण की सहमति दी।
ज्यादातर पैरेंट्स ने एक किताब प्रतिदिन पढ़ने का लक्ष्य रखा। जिसके एक साल के अंदर चौंकाने वाले परिणाम सामने आए। ऐसे बच्चों की ग्रहणशीलता उन बच्चों के मुकाबले अधिक थी, जिन्हें कोई भी किताब पढ़कर नहीं सुनाई जाती थी। इस शोध के नतीजों को लेकर शोधकर्ता उत्साहित रहे।
भाषाई समझ जल्दी विकसित होती है
शोधकर्ताओं ने कहा कि रोजाना पढ़ना जरूरी है, सप्ताह में एक से अधिक पुस्तकें पढ़ें, तो इससे भाषाई समझ तेजी से विकसित होती है। इससे पैरेंट्स और बच्चों के बीच बॉन्ड भी विकसित होता है। वहीं बच्चों का ब्रेन पावर और लैंग्वेज स्किल भी मजबूत होती है।
24 दिन के होते ही आवाज पहचानने लगते हैं नवजात
बच्चे जब 24 दिन के होते हैं, तभी से वे लय में थोड़े से बदलाव को भी पहचान सकते हैं। यहां तक कि परिवार के अलग-अलग सदस्यों की आवाज को भी पहचान सकते हैं। यदि 5 माह का शिशु प्रतिदिन किसी गीत को सुनता है, तो वह उसे सुनते ही पहचान सकता है।