UN चीफ का यूक्रेन दौरा कीव में जेलेंस्की से मुलाकात करेंगे, ग्रेन एक्सपोर्ट स्कीम जारी रखने पर एग्रीमेंट मुमकिन

UN चीफ एंतोनियो गुटरेस मंगलवार देर रात यूक्रेन पहुंचे। यहां राजधानी कीव में उनकी मुलाकात प्रेसिडेंट वोल्दोमिर जेलेंस्की से होगी। इस मीटिंग में ब्लैक सी के जरिए फूड एक्सपोर्ट जारी रखने पर विचार होगा।

पिछले साल 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था। इसके बाद शुरू हुई दोनों देशों की जंग जारी है। इस मामले में सिर्फ एक राहत की बात 7 महीने पहले हुई। तब रूस और यूक्रेन इस बात पर सहमत हुए थे कि दोनों देश ब्लैक सी से गुजरने वाले किसी ऐसे जहाज पर हमला नहीं करेंगे, जिसमें फूड प्रोडक्ट्स मसलन गेहूं, चावल या दूसरे ऐसे ही प्रोडक्ट हों।

UN को उम्मीद- समझौता जारी रहेगा

  • UN चीफ के स्पोक्सपर्सन स्टीफन दुजारेक ने मंगलवार को कहा- गुटरेस यूक्रेन के पड़ोसी देश पोलैंड पहुंच चुके हैं। बुधवार सुबह वो यहां से कीव रवाना होंगे। यूक्रेन की राजधानी में उनकी मुलाकात जेलेंस्की से होगी। रूस-यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद UN चीफ का यह तीसरा यूक्रेन दौरा है। इसके पहले वो पिछले साल अप्रैल और फिर अगस्त में यूक्रेन गए थे।
  • जेलेंस्की और गुटरेस की बातचीत में मुख्य मुद्दा ग्रेन इनिशिएटिव (ग्रेन एक्सपोर्ट स्कीम) ही रहेगा। रूस और यूक्रेन के बीच पिछले साल अक्टूबर में यह समझौता हुआ था। अब तक दोनों देशों ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है कि वो इस एग्रीमेंट को खत्म करना चाहते हैं।
  • वैसे, खास बात यह है कि UN चीफ की यूक्रेन विजिट के बारे में तफ्सील से कोई जानकारी प्रवक्ता ने नहीं दी। माना जा रहा है कि रूस इस बात से नाराज है कि UN चीफ सिर्फ यूक्रेन के बारे में बयान दे रहे हैं। उन्होंने अमेरिका और नाटो के बारे में कुछ नहीं कहा।
रूस और यूक्रेन अफ्रीका की जरूरत का 40% फूड एक्सपोर्ट करते हैं। जंग की वजह से यहां गेहूं के दाम इस साल 60% तक बढ़ गए थे।
रूस और यूक्रेन अफ्रीका की जरूरत का 40% फूड एक्सपोर्ट करते हैं। जंग की वजह से यहां गेहूं के दाम इस साल 60% तक बढ़ गए थे।

पीछे हटने को तैयार नहीं रूस
इसी साल सिक्योरिटी काउंसिल की एक मीटिंग में गुटरेस ने रूस को कड़ी फटकार लगाई थी। उन्होंने कहा था- रूस के हमले से बड़े पैमाने पर मौतें, तबाही और बर्बादी ही हुई। ये UN चार्टर के खिलाफ है। यूक्रेन के लोग नर्क जैसी जिंदगी जीने को मजबूर हैं।

इसके बाद कम से कम तीन बार ऐसा हुआ जब UN चीफ ने कीव और मॉस्को के बीच मध्यस्थता की कोशिश की। हालांकि, हर बात नाकामी हाथ लगी। इसकी वजह ये थी कि कभी रूस तो कभी यूक्रेन पीछे हटने को तैयार नहीं हुआ।

पहले रूस ने क्या कहा था

  • पिछले साल जंग शुरू होने के बाद ग्लोबल फूड क्राइसिस पैदा हो गया था। तब रूस के विदेश मंत्री लावरोव ने कहा था- रूस और यूक्रेन की जंग का ग्लोबल फूड क्राइसिस से कोई लेना-देना नहीं है। पश्चिमी देश और खासतौर पर अमेरिका अफवाहें फैला रहे हैं।
  • लावरोव ने आगे कहा था- हमने पहले भी साफ किया था कि अनाज ले जा रहे किसी शिपमेंट को रूस नहीं रोकेगा। रूसी सैनिक हर शिपमेंट को चेक करेंगे। ये देखा जाएगा कि अनाज की जगह इनमें हथियार तो नहीं हैं। अगर हथियार मिले तो उस शिप को जब्त कर लिया जाएगा। अगर उसमें वास्तव में खाद्यान या गेहूं है तो हम उसे बिल्कुल नहीं रोकेंगे।
  • लावरोव ने कहा था- रूस ने अपनी हिफाजत के लिए समुद्र में कुछ बारूदी सुरंगें लगाई हैं। हम इससे इनकार नहीं कर रहे, लेकिन अगर फूड शिपमेंट है तो हम इन्हें फौरन हटा लेंगे। रूस ग्लोबल फूड क्राइसिस नहीं होने देगा। मैं इस बात का भरोसा दिलाना चाहता हूं। रूस और यूक्रेन अफ्रीका की जरूरत का 40% फूड एक्सपोर्ट करते हैं। जंग की वजह से यहां गेहूं के दाम 25 फीसदी तक बढ़ गए थे।
पिछले साल 22 जुलाई को अंकारा में तुर्की के विदेश मंत्री से बातचीत के दौरान रूस के विदेश मंत्री लावरोव। इसी बातचीत के बाद रूस-यूक्रेन के बीच ग्रीन पैक्ट हुआ था।
पिछले साल 22 जुलाई को अंकारा में तुर्की के विदेश मंत्री से बातचीत के दौरान रूस के विदेश मंत्री लावरोव। इसी बातचीत के बाद रूस-यूक्रेन के बीच ग्रीन पैक्ट हुआ था।

फिर अच्छी खबर आई
लावरोव के इस बयान के बाद वो तुर्किये के विदेश मंत्री से मिले। UN ने भी दखल दिया। इसके बाद UN और तुर्की ने मिलकर रूस और यूक्रेन के बीच ग्रीन पैक्ट कराया। रूस और यूक्रेन दोनों ही अफ्रीका समेत दुनिया के कई देशों को फूड सप्लाई में अहम रोल अदा करते हैं। यही वजह है कि अफ्रीका के कई गरीब देशों में भुखमरी का खतरा पैदा हो गया था। रूस ब्लैक सी में यूक्रेन के पोर्ट्स को निशाना बना रहा था। इसकी वजह से यूक्रेन का अनाज वहां से एक्सपोर्ट नहीं हो पा रहा था।

ये तय हुआ कि तुर्किये में जांच के बाद यूक्रेन के हर शिपमेंट को लेबनान भेजा जाएगा। इसका कुछ हिस्सा अफ्रीका को भी मिलेगा। रूस ने समझौते में वादा किया कि वो किसी फूड शिपमेंट पर हमला नहीं करेगा।

दुनिया को बड़ी राहत
समझौते के बाद यूक्रेन के एक अफसर ने कहा था- हम कॉर्न एक्सपोर्ट करने वाले दुनिया के चौथे बड़े देश हैं। फूड क्राइसिस से फूड सिक्योरिटी का रास्ता तय करना बेहद जरूरी है। यूक्रेन अपनी जिम्मेदारी समझता है। तुर्किये के डिफेंस मिनिस्टर हुलुसई अकार ने कहा- इंस्ताबुल में रूस, यूक्रेन, तुर्की और UN के अफसर मौजूद रहेंगे। इनके सामने शिपमेंट की जांच होगी। इसके बाद इसे आगे जाने दिया जाएगा।

अकार ने कहा- अगर हम इस तरह की कोशिश नहीं करते तो 150 साल बाद दुनिया भुखमरी का शिकार हो जाती। अब यह कोशिश की जानी चाहिए कि किसी तरह यह जंग भी खत्म हो। इस सदी में जंग की कोई जगह नहीं होनी चाहिए।

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