तुर्किये में 6 फरवरी को आए भूकंप से मरने वालों का आंकड़ा 50 हजार से ज्यादा हो गया है। भारत समेत कई देशों ने मुश्किल वक्त में तुर्किये की काफी मदद की। अब सऊदी अरब ने तुर्किये को 5 अरब डॉलर दिए हैं। हालांकि, ये गारंटी डिपॉजिट हैं। तैयब एर्दोगन सरकार इन्हें खर्च नहीं कर सकेगी।
खास बात यह है कि सऊदी अरब ने दिवालिया होने की कगार पर खड़े पाकिस्तान की लाख कोशिशों के बाद उसे नया गारंटी डिपॉजिट नहीं दिया है। पाकिस्तान के पास सऊदी के पहले से ही 3 अरब डॉलर बतौर गारंटी डिपॉजिट मौजूद हैं।
डेवलपमेंट फंड से पैसा देगा सऊदी
सऊदी अरब के टूरिज्म मिनिस्टर और डेवलपमेंट फंड के चेयरमैन अहमद अल-खातीब ने तुर्किये के सेंट्रल बैंक प्रेसिडेंट के साथ एक एग्रीमेंट पर साइन किए हैं। इसके तहत सऊदी सरकार तुर्किये को 5 अरब डॉलर बतौर डिपॉजिट देगी।
यह पैसा सऊदी प्रिंस सलमान और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) के आदेश पर दिया जा रहा है। सऊदी ने एक बयान में कहा- दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक रिश्ते हैं। मुश्किल वक्त में हम तुर्किये की मदद जारी रखेंगे ताकि वो अपनी इकोनॉमी मजबूत कर सके और भूकंप से बेघर हुए परिवारों को नए सिरे से बसा सके।
सऊदी अखबार ‘द नेशनल’ के मुताबिक, जनवरी 2023 के आखिर में तुर्किये के फॉरेन रिजर्व 10.9% कम हो गए और अब यह सिर्फ 67.2 अरब डॉलर पर हैं। यहां 50 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। 10 लाख मकान जमींदोज हुए हैं और करीब 10 लाख लोग बेघर हैं।
पाकिस्तान को नहीं दी मदद
- पाकिस्तान के सरकारी खजाने में इस वक्त महज 2.7 अरब डॉलर हैं। महंगाई दर 40% हो चुकी है। विदेशी कर्ज 100 अरब डॉलर से ज्यादा हो चुका है। इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) 1.2 अरब डॉलर कर्ज की किश्त जारी करने को तैयार नहीं है। कुल मिलाकर मुल्क कब दिवालिया हो जाए, कहा नहीं जा सकता।
- पाकिस्तान के नए आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर और प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ दो बार सऊदी अरब का दौरा कर चुके हैं। सऊदी सरकार ने 3.5 अरब डॉलर डिपॉजिट करने का भरोसा तो दिलाया, लेकिन ऐसा किया नहीं।
- पिछले साल दिसंबर में ‘ब्लूमबर्ग’ की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि सऊदी सरकार अब पाकिस्तान को तभी पैसा देगी, जब IMF उसकी किश्त बहाल कर दे। यही शर्त UAE ने भी रखी थी।
एक वादा जो पूरा नहीं हुआ
- 2020 में जब सऊदी ने पाकिस्तान को 3 अरब डॉलर और उधार पर तेल दिया था, तब एक शर्त रखी थी और एक मुल्क के लिए यह शर्मिंदगी वाली बात थी। सऊदी ने कहा था कि वो 36 घंटे के नोटिस पर यह पैसा वापस ले सकते हैं, पाकिस्तान को ब्याज भी चुकाना होगा और यह सिर्फ गारंटी मनी होगी। मतलब, पाकिस्तान इसे खर्च नहीं कर सकेगा। इस बार भी शर्तों में बदलाव नहीं हुआ है। लिहाजा, साफ है कि पुरानी शर्तें ही जारी रहेंगी।
- 2019 में सऊदी क्राउन प्रिंस सलमान पाकिस्तान दौरे पर आए थे। तब इमरान खान प्रधानमंत्री थे और उन्होंने खुद कार ड्राइव की थी। तब भी सलमान ने पाकिस्तान में 10 अरब डॉलर इन्वेस्ट करने का वादा किया था। 3 साल बाद भी वादा पूरा नहीं हुआ।
- दो महीने पहले जब शाहबाज सऊदी में थे तो क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान (MBS) ने पाकिस्तान को 5 अरब डॉलर की मदद का भरोसा दिलाया था। इसके लिए पुरानी दोनों शर्तें कायम रखी गईं थीं। मजे की बात यह है कि जब शरीफ मुल्क लौटे तो साफ हो गया कि 5 नहीं बल्कि सिर्फ 2 अरब मिलेंगे। 3 अरब डॉलर तो वो हैं जो अब भी पाकिस्तान के खजाने में मौजूद हैं। यानी ये पुराना कर्ज ही है जो सऊदी सरकार ने नए हिसाब में जोड़ लिया।
- दूसरी तरफ, सऊदी ने इसी दौरान इजिप्ट यानी मिस्र को 7.7 अरब डॉलर का लोन दिया। इसके अलावा 1.5 अरब डॉलर पावर प्लांट के लिए भी डोनेट किए। MBS ने वादा किया कि वो इजिप्ट में 30 अरब डॉलर इन्वेस्टमेंट करेंगे। पाकिस्तान के मामले में उन्होंने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया।
सऊदी फाइनेंस मिनिस्टर ने दी थी नसीहत
जनवरी की शुरुआत में सऊदी अरब के फाइनेंस मिनिस्टर मोहम्मद अल जेदान ने पाकिस्तान को साफ शब्दों में सुधरने की नसीहत दी थी। जेदान ने कहा था- हमने अपने सहयोगियों को बहुत साफतौर पर बता दिया है कि सऊदी अरब ने अब फाइनेंशियल हेल्प और कर्ज देने की पॉलिसी बदल दी है। अब पहले की तरह बिना शर्त कर्ज या गारंटी डिपॉजिट नहीं किए जाएंगे। इन मुल्कों को अपना इकोनॉमिक सिस्टम और इन्फ्रास्ट्रक्चर दुरुस्त करना होगा।सऊदी फाइनेंस मिनिस्टर के इस बयान का पाकिस्तान में काफी जिक्र हुआ था। हालांकि, वहां की सरकार ने इस बारे में कुछ नहीं कहा था। पाकिस्तानी मीडिया का दावा था कि जेदान ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना, उसे ही नसीहत दी है।