एस्मा लगने के बाद भी कर्मचारियों का हड़ताल कानपुर, वाराणसी समेत कई जिलों में बिजली सप्लाई बाधित, लखनऊ में PAC तैनात

यूपी में गुरुवार रात 10 बजे से बिजली कर्मचारी- इंजीनियर हड़ताल पर हैं। 23 साल बाद बिजली कर्मचारी हड़ताल पर गए है। इससे पहले मंगलवार-बुधवार इंजीनियरों ने कार्य बहिष्कार किया था।

कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से बंदायू, कानपुर, उन्नाव, सिद्वार्थ नगर, आजमगढ़, जालौन, हाथरस, वाराणसी, फरूखाबाद फतेहपुर, बस्ती समेत के कई जिलों में लोगों के घरों में बिजली नहीं आ रही है। फॉल्ट आने के बाद उसको सही नहीं किया गया है।

महराजगंज, संभल, प्रयागराज में कई कर्मचारी नेता गिरफ्तार

ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने प्रदेश में हड़ताल पर इंजीनियर और संविदा कर्मचारियों पर एस्मा लगाने की बात कही है। यही वजह है कि लखनऊ समेत प्रदेश के कई जिलों में बिजली विभाग के कार्यालय पर PAC तैनात कर दी गई है।

जिससे की शुक्रवार को कोई प्रदर्शन या हंगामा न हो। इसके अलावा गुरुवार को प्रयागराज, संभल और महाराजगंज समेत कई जिलों में संविदा कर्मचारियों और नेताओं को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ मुकदमे की कार्रवाई हुई।

नेताओं ने बंद किए फोन नंबर

लखनऊ समेत प्रदेश के अलग-अलग जिलों में आंदोलन का नेतृत्व कर रहे नेताओं ने अपने फोन नंबर बंद कर दिए है। इससे की उनको रात को पुलिस गिरफ्तार न कर पाए। सूत्रों का कहना है कि पावर कॉर्पोरेशन के फिल्ड हॉस्टल से निकलते ही कई एक्सईएन और जेई लोगों ने अपने-अपने नंबर बंद कर दिए है।

संविदा कर्मचारियों को किया टारगेट

सरकार ने सबसे पहले संविदा और आउट सोर्सिंग वाले कर्मचारियों को टारगेट करने का फैसला किया है। ऊर्जा मंत्री ने कहा कि संविदा वालों को नौकरी से निकाल दिया जाएगा। जबकि एस्मा के तहत नियमित कर्मचारियों को छह महीने से लेकर एक साल तक जेल में डाला जा सकता है। अभी तक अलग-अलग शहरों को मिलाकर करीब 20 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।

यूपी में 23 साल बाद बिजली कर्मचारी और इंजीनियर बुधवार रात 12 बजे के बाद से कार्य बहिष्कार पर है। मांगों पर कोई कार्रवाई न होने से नाराज इंजीनियरों ने 16 मार्च रात 10 बजे से 72 घंटे की हड़ताल पर चले गए हैं। ऐसे में 3 करोड़ बिजली उपभोक्ता की परेशानी बढ़ गई है। इससे पहले साल 2003 में कर्मचारियों ने बिजली विभाग के एकीकरण को लेकर पूरे प्रदेश में प्रदर्शन किया था।

3 दिसंबर को मंत्री एके शर्मा ने दिया था आश्वासन

बिजली कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति का आरोप है कि 3 दिसंबर 2022 को मांगों को लेकर ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने पूरा करने का आश्वासन दिया था। इसको लेकर लिखित समझौता हुआ था। मगर, कॉर्पोरेशन प्रबंधन और मंत्री दोनों अपनी बात से मुकर रहे है।

1500 इंजीनियर और कर्मचारियों किया था प्रदर्शन

लखनऊ में गुरुवार को राणा प्रताप मार्ग स्थित फील्ड हॉस्टल पर 1500 से ज्यादा इंजीनियर और कर्मचारी प्रदर्शन किया था। मिली जानकारी के अनुसार, राजधानी लखनऊ में अभी बिजली कटौती पर फॉल्ट का काम सुचारु रूप से चल रहा है। बाकी काम जैसे कि उपभोक्ता अपना बिल सुधार काम प्रभावित हो रहा हैं। क्योंकि जेई , एसडीओ और एक्सईएन के अकाउंट से ही यह काम होते हैं। इसमें करीब 90 फीसदी लोग कार्य बहिष्कार में शामिल थे।

पूरे देश से समर्थन मिलने का दावा

हड़ताल में शामिल संगठनों का दावा है कि उनको पूरे देश से समर्थन मिल रहा है। 16 मार्च को देश के सभी राज्यों के बिजली कर्मचारियों के उनके समर्थन में मार्च निकाला है। दावा किया जा रहा है कि देश के 27 लाख बिजली कर्मचारियों ने उनका समर्थन किया है। बिजली संगठनों के केंद्रीय नेता गुरुवार को लखनऊ पहुंचे भी थे।

मंत्री ने कहा सख्ती से निपटा जाएगा
मंत्री एके शर्मा का कहना है कि आंदोलन के चलते अगर बिजली व्यवस्था में परेशानी आती है तो प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सख्ती से निपटा जाएगा। उन्होंने इस मामले में दलित इंजीनियरों के संगठन पॉवर ऑफिसर्स एसोसिएशन को अपने साथ कर लिया है। संगठन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने मंत्री को आश्वासन दिया है कि उनके साथ के लोग दो घंटा अतिरिक्त काम करेंगे। जरूरत पड़ी तो वह 24 घंटे काम करेंगे। लेकिन बिजली व्यवस्था बिगड़ने नहीं होने देंगे

नए कनेक्शन और लोड के काम प्रभावित

प्रदेश के विभिन्न जिलों में अप्रैल से पहले उपकेंद्रों के मरम्मत का काम चल रहा है। कार्य बहिष्कार की वजह से वह काम प्रभावित होगा। इसके अलावा नए कनेक्शन मिलने वाले काम भी नहीं हो रहे है।इसके अलावा अगर कोई उपभोक्ता अपना बिल सही कराने के लिए उपकेंद्र जाता है तो उसको भी परेशानी झेलनी पड़ेगी। साथ ही अगर कहीं फॉल्ट आता है तो बिजली कर्मचारी उसको बनाने से इंकार भी कर सकता है। ऐसे में आम आदमी के लिए अगले 72 घंटे परेशानी वाले होगी।

चेयरमैन एम देवराज से सीधी लड़ाई

वैसे तो लिखित में कोई भी नेता चेयरमैन को हटाने की सीधी मांग नहीं कर रहा है। लेकिन लिखित समझौते का आश्वासन देकर यह बताया जा रहा है कि चेयरमैन के चुनाव की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। ऐसे में उस प्रक्रिया के तहत चुनाव होना चाहिए। अब ऐसे में वह प्रक्रिया अपनाई जाती है तो पहले मौजूदा चेयरमैन एम देवराज को हटाना पड़ेगा। सूत्रों का कहना है कि अगर केवल यह मांग पूरी होती है तो आंदोलन वापस ले लिया जाएगा। हालांकि सरकार इस मांग को पूरी करने के पक्ष में नहीं है। ऐसे में अभी टकराव बढ़ गया है।

CM योगी से हस्तक्षेप की मांग

बिजली कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने कार्यबहिष्कार पर जाने से पहले इस मामले में सीएम योगी आदित्यनाथ से हस्तक्षेप करने की मांग की है। समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि कार्यबहिष्कार मजबूरी में कर रहे है। ऊर्जा मंत्री ने लिखित समझौता करने के बाद अब हमारी मांगों को मानने से इंकार कर दिया है। ऐसे में कार्यबहिष्कार पर जाना हमारी मजबूरी है।

कर्मचारियों की प्रमुख मांगें-

  • 9 साल, कुल 14 वर्ष एवं कुल 19 वर्ष की सेवा के बाद तीन प्रमोशन वेतनमान दिया जाए।
  • निर्धारित चयन प्रक्रिया के तहत चेयरमैन, प्रबन्ध निदेशकों व निदेशकों के पदों पर चयन किया जाए।
  • बिजलीकर्मियों को कैशलेस इलाज की सुविधा प्रदान की जाए।
  • ट्रांसफॉर्मर वर्कशॉप के निजीकरण के आदेश वापस लिए जाए।
  • 765/400/220 केवी विद्युत उपकेन्द्रों को आउटसोर्सिंग के माध्यम से चलाने का निर्णय रद्द किया जाए।
  • पारेषण में जारी निजीकरण प्रक्रिया निरस्त की जाए।
  • आगरा फ्रेंचाईजी व ग्रेटर- नोएडा का निजीकरण रद्द किया जाए।
  • ऊर्जा कर्मियों की सुरक्षा के लिए पावर सेक्टर इम्प्लॉइज प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाए।
  • तेलंगाना, पंजाब, दिल्ली व उड़ीसा सरकार के आदेश की भांति ऊर्जा निगमों के समस्त संविदा कर्मियों को नियमित किया जाए।
  • बिजली कर्मियों को कई वर्षों से लम्बित बोनस का भुगतान किया जाए।
  • भ्रष्टाचार एवं फिजूलखर्ची रोकने हेतु लगभग 25 हजार करोड़ के मीटर खरीद के आदेश रद्द किए जाए व कर्मचारियों की वेतन विसंगतियां दूर की जाए।

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