गिर सकता है भोपाल का भारत टॉकीज ब्रिज 49 साल पुराना हुआ; 29 स्लैब में लगे 336 बियरिंग-पेडस्टल खराब; फिर भी ट्रैफिक चालू

भोपाल स्टेशन के प्लेटफॉर्म 1 की ओर जाने वाला 49 साल पुराना भारत टॉकीज ब्रिज कभी भी गिर सकता है। ब्रिज के 28 पिलर्स पर बिछे 29 स्लैब में लगे 336 बियरिंग और इतने ही पेडस्टल खराब हो चुके हैं। 1974-75 में हुए निर्माण के बाद से अब तक ब्रिज पर 16 बार डामरीकरण हो चुका है। छह महीने पहले ब्रिज की रिपेयरिंग के लिए डामर उखाड़ा गया। एक-एक स्लैब पर 119 टन डामर था।

यानी यहां से 3451 टन डामर निकाला गया। डामर निकालने की इस प्रक्रिया में बियरिंग और पेडस्टल और खराब हो गए। रिपेयरिंग के लिए 16 मार्च से दो माह के लिए ट्रैफिक बंद करना था। डायवर्जन प्लान भी जारी हो गया था। बदले हुए ट्रैफिक प्लान का तीन दिन तक ट्रायल होना था। लेकिन, अंतिम समय में इसे टाल दिया गया।

  • ब्रिज की स्लैब को संभाले रखने वाले पिलर्स के ऊपर जो कैप लगी होती है, उन्हीं में कई जगह क्रेक दिखाई दे रहे हैं। इसी कैप पर पेडस्टल और बियरिंग के जरिए स्लैब टिके रहते हैं। ऐसे में ये क्रैक खतरनाक हो सकते हैं।
  • पेडस्टल और स्लैब के बीच की बियरिंग कई जगहों पर गायब हो चुकी या खराब हो चुकी है। ये बियरिंग झटकों से बचाती है।
  • जिन पेडस्टल पर बियरिंग लगी होती है, वही खराब हो चुके हैं। ऐसे में ब्रिज के स्लैब जगह से खिसक सकते हैं।

अब तक 16 बार हुए डामरीकरण से बढ़ा 3451 टन अतिरिक्त डामर का बोझ

मंजूरी के बाद भी लागू नहीं किया ट्रैफिक डायवर्जन प्लान

  • ट्रैफिक डायवर्जन प्लान मंजूरी के बाद भी लागू नहीं होने से मेंटेनेंस का काम शुरू नहीं हो सका है। सूत्रों के अनुसार इस संबंध में पीडब्ल्यूडी ने ट्रैफिक पुलिस को एक पत्र भी लिखा है।
  • लेकिन पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों ने इस मसले पर चुप्पी साध ली है। पीडब्ल्यूडी के ईएनसी नरेंद्र कुमार और चीफ इंजीनियर संजय खांडे सहित कोई भी इस बारे में बात करने को राजी नहीं है।

2015 में हो चुकी है दो लोगों की मौत

अक्टूबर 2015 में ब्रिज के फुटपाथ का करीब 50 फीट लंबा हिस्सा ढहकर नीचे गिर गया था। इस घटना में दो लोगों की मौत हो गई थी।

अपनी उम्र पूरी कर चुका है ब्रिज, रिपेयर करने की बजाय दोबारा बनाएं- शैलेंद्र बागरे, स्ट्रक्चर इंजीनियर

ब्रिज उम्र पूरी कर चुका है। यह 50 साल के हिसाब से बना था। 49 साल पूरे हो गए हैं। इतने वर्षों में पीडब्ल्यूडी ने ब्रिज का मेंटेनेंस करने की बजाय हर बार केवल सड़क रिपेयर कर दी। ब्रिज के पेडस्टल और बियरिंग की हालत देखकर लगता है कि यह स्लैब का वजन सहने की स्थिति में नहीं हैं। एक-एक स्लैब का वजन 315 टन है। ट्रैफिक के कारण हो रहे वाइब्रेशन से कोई भी बियरिंग टूट सकता है। नतीजतन स्लैब नीचे गिर जाएगी। ब्रिज के नीचे से भी दिनभर में करीब 4 लाख वाहन गुजरते हैं। पैदल गुजरने वालों की संख्या भी बहुत बड़ी है।

हम विकल्पों पर विचार कर रहे हैं

16 मार्च से डायवर्जन का ट्रायल शुरू किया था। ब्रिज बंद करने पर लोगों को तीन से चार किमी का चक्कर काटना पड़ रहा है, इसलिए इसके विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। इसके बाद डायवर्जन लागू करेंगे।
– हंसराज सिंह, डीसीपी ट्रैफिक, भोपाल

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles