प पीड़िताओं से ब्याह रचाने के लिए पांच-पांच टेस्ट से गुजरना पड़ता है

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बात यदि शादी की हो तो आमतौर पर बड़े एहतियात बरते जाते हैं। वर पक्ष हो या वधू पक्ष, अमूमन सामाजिक सरोकार के साथ परिवार की जांच पड़ताल के बाद भी रिश्ते तय होते हैं। यह जानकर आपको आश्चर्य होगा कि कुछ संबंधों के तय होने से पहले और दुल्हन की रजामंदी के बाद दूल्हे को एक नहीं, दो नहीं बल्कि पांच-पांच टेस्ट से गुजरना होता है। रिश्तेदारों का यह काम भी सरकारी महकमे करते हैं। रेप पीड़ित से शादी के लिए दूल्हे का इम्तिहान होता है।

दरअसल, मध्यप्रदेश महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा भोपाल समेत प्रदेश में कुल 14 बालिका गृह चलाए जा रहे हैं। सामाजिक संगठनों की मदद से चलाए जा रहे इन बालिका गृह में रेप पीड़िता, अनाथ या किसी अपराध की शिकार हुई बच्चियों और युवतियों को रखा जाता है। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा बालिका गृहों में सर्वाधिक रेप पीड़िताओं को भेजा जाता है। यहां रहने, खाने-पीने की सभी व्यवस्थाओं के साथ कौशल विकास के लिए पहल भी की जाती है। इसके अलावा बालिका गृह संस्थाएं इन पीड़िताओं की रजामंदी के बाद शादी के लिए भी प्रयास करती हैं।

पांच टेस्ट में पास होने के बाद होती है शादी-ब्याह की बात

भोपाल के प्रोफेसर कॉलोनी स्थित महिला एवं बाल विकास और निर्भया फाउंडेशन द्वारा बालिका गृह का संचालन किया जा रहा है। फाउंडेशन के संचालक अफजल खान ने बताया कि रेप पीड़िताओं से शादी के लिए पांच स्तरों पर इच्छुक व्यक्ति को कसौटी पर उतरना होता है। इसमें महिला एवं बाल विकास विभाग के अलावा, पुलिस प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की मदद ली जाती है। रिपोर्ट में सब ठीक होने के बाद ही शादी संबंधित कदम उठाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि अब तक छह रेप पीड़िताओं की शादी ऐसे ही कराई गई हैं।

5 टेस्ट की इन रिपोर्ट के बाद होती है रेप पीड़िताओं से शादी

1- सेल्फ रिपोर्ट –

विभागीय स्वीकृति के बाद संबंधित बालिका गृह संस्था द्वारा कम से कम तीन अखबारों में शादी का इश्तिहार दिया जाता है। पीड़िता से शादी के लिए आवेदन बुलाए जाते हैं। संस्था वधु की सहमति के आधार पर चयन करती है। इसमें वेतन, पेशा या नौकरी, परिवार के सदस्यों की संख्या समेत अन्य बिंदुओं पर मंथन किया जाता है।

2- ग्राउंड रिपोर्ट –

चयनित आवेदनों को संबंधित जिले के महिला एवं बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी के पास भेजा जाता है। अधिकारी आवेदन में दी गई जानकारी का सत्यापन करता है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भी इसमें मदद ली जाती है।

3- पुलिस रिपोर्ट –

ग्राउंड रिपोर्ट के बाद फिर पुलिस प्रशासन अपनी जिम्मेदारी निभाता है। परियोजना अधिकारी संबंधित व्यक्ति के शिकायत, छोटी से छोटी आपराधिक जानकारी और क्रिमिनल रिकॉर्ड के लिए पुलिस प्रशासन को पत्र लिखता है।

4- हेल्थ रिपोर्ट –

पुलिस रिपोर्ट के बाद एक परीक्षा स्वास्थ्य विभाग भी लेता है। परियोजना अधिकारी के निर्देश पर संबंधित व्यक्ति का हेल्थ चेकअप किया जाता है। इसकी रिपोर्ट भी डॉक्टर की एडवाइजरी के साथ परियोजना अधिकारी को भेजी जाती है।

5- सहमति –

इन तमाम रिपोर्ट की फाइल तैयार की जाती है। महिला एवं बाल विकास अधिकारी अपनी रिपोर्ट तैयार कर भेजता है। फिर इन रिपोर्ट को पीड़िता के सामने रखा जाता है। संस्था द्वारा पीड़िता को लकड़े के घर की स्थिति के लिए ले जाया जाता है। वधु की लिखित सहमति के बाद रिश्ता तय किया जाता है।

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