महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं के साथ भस्मारती अनुमति बनवाने या दर्शन रसीद के नाम पर ठगी करने के मामले सामने आए हैं। मंदिर प्रशासन को सूचना मिली थी कि परिसर में स्थित मंदिरों में 80-20, 60-40 के प्रतिशत में अन्य व्यक्ति बैठकर तिलक लगाने और कलावा बांधने का काम कर रहे हैं। सोमवार को उप प्रशासक, सहायक प्रशासक ने आकस्मिक निरीक्षण किया तो हकीकत सामने आई। एक मंदिर पर बैठे युवक ने कहा कि तिलक लगाने पर जो राशि आती है, उसका 80 प्रतिशत पंडित को देकर 20 प्रतिशत वह रखता है। यह सुनते ही अधिकारी भी आश्चर्यचकित हो गए। फिलहाल संबंधित पंडित को तलब कर सख्त हिदायत दी है।
मंदिर में देशभर के श्रद्धालु बाबा महाकाल के दर्शन के लिए आस्था और विश्वास के साथ आते हैं। ऐसे में श्रद्धालुओं के साथ अभी तक भस्मारती अनुमति बनवाने या दर्शन कराने की रसीद के नाम पर ठगी की घटनाएं हुई है। ऐसे में मंदिर प्रशासन के अधिकारी भी एक्शन मूड में आ गए है। सोमवार को मंदिर समिति की उप प्रशासक व एसडीएम कृतिका भीमावत, सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल, प्रभारी अनुराग चौबे ने आकस्मिक निरीक्षण किया तो वस्तु स्थिति सामने आई।
इस दौरान परिसर में स्थित छोटे मंदिरों में जाकर जानकारी ली तो पता चला कि 80-20 प्रतिशत तो कुछ 60-40 के प्रतिशत में बैठकर तिलक लगाने का काम करते है। अधिकांश पंडितों के पास मंदिर समिति के अधिकृत कार्ड भी मौजूद नहीं थे। जानकारी लेने पर किसी ने कहा कार्ड रखा है पहना नही, किसी ने कहा कार्ड घर पर भूल आए है। हालांकि मंदिर के अधिकारियों का पहला निरीक्षण था इसलिए कार्ड गले में डालकर रखने की चेतावनी दी है।
युवक ने कहा 80 पंडित को देता हूं 20 मैं रखता हूं
आकस्मिक निरीक्षण के दौरान यह बात भी सामने आ गई कि किस तरह से मंदिर में एवजी रखे जाकर प्रतिशत का खेल चल रहा है। मंदिर के अधिकारी जब मंदिर परिसर में तिलक लगाकर नाड़ा बांधने वाले एक युवक से पूछा यहां कैसे बैठे हो। युवक ने कहा कि उसे एक पंडित ने बैठाया है। अधिकारियों ने पूछा प्राप्त राशि का क्या करते हो तो उसने कहा तिलक लगाकर नाड़ा बांधने से जो इनकम होती है उसका 80 प्रतिशत संबंधित पंडित को देता है और 20 प्रतिशत वह स्वंय रखता है। यह सुनते ही अधिकारी भी अवाक रह गए। हालांकि इस दौरान तक युवक वहां से गायब हो गया था।
श्रद्धालु से ठगी ना हो इसलिए सख्त हुआ मंदिर प्रशासन
श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के अधिकारी अब श्रद्धालुओं के साथ किसी तरह की ठगी की वारदात ना हो इसलिए मंदिर में पंडित की वेशभूषा में घूमने वाले अनाधिकृत व्यक्तियों पर नजर गड़ाए हुए हैं। कारण है कि मंदिर परिसर में स्थित करीब 45 छोटे बड़े मंदिरों में बैठने वाले पुजारी या उनके द्वारा अधिकृत प्रतिनिधियों के आइडेंटी कार्ड मंदिर समिति द्वारा बना कर दिए गए हैं।
कार्ड होने के बाद भी अधिकांश पंडित या प्रतिनिधि गले में कार्ड नहीं पहनते हैं। जिसके कारण बाहरी व्यक्ति की पहचान नही हो पाती है। ऐसे में बाहरी व्यक्ति पंडित की वेशभूषा में श्रद्धालुओं से फायदा उठाते हैं। मंदिर प्रशासन के अधिकारियों ने पहले निरीक्षण में अधिकृत सूची के अनुसार कार्ड गले में पहनकर रखने की हिदायत दी है। वहीं पंडे- पुजारियों के प्रतिनिधियों व उनसे जुड़े हुए अन्य लोगों की सूची लेकर आकस्मिक निरीक्षण करेंगे।