उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय में डेढ़ वर्ष पूर्व हुई पीएचडी चयन परीक्षा-2022 में धांधली एवं फर्जी तरीके से नंबर बढ़ाने के लिए आंसर -शीट में छेड़छाड़ कर विद्यार्थी को फेल से पास करने की शिकायत लोकायुक्त को की गई थी। मामले में लोकायुक्त ने कुलसचिव सहित अन्य अधिकारियों व शिकायतकर्ता के बयान दर्ज किए थे। वहीं लोकायुक्त ने आंसर शीट की भी जांच के लिए मंगवाई थी। जांच के बाद अंतत: लोकायुक्त ने पांच लोगों जिनमें कुलसचिव, पूर्व कुलपति, दो प्राध्यापक सहित एक सहायक कुलसचिव के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
विक्रम विश्वविद्यालय में मार्च 2022 हुई पीएचडी प्रवेश परीक्षा में धांधली कर अपात्रों को पास करने की शिकायत लोकायुक्त को मप्र युवक कांग्रेस के पूर्व प्रदेश सचिव बबलू खिंची ने की थी। शिकायत के आधार पर लोकायुक्त ने शिकायतकर्ता बबलू खिंची व कुलसचिव डॉ. प्रशांत पौराणिक सहित गोपनीय विभाग के अन्य अधिकारियों को लोकायुक्त कार्यालय बुलाकर बयान दर्ज किए थे। वहीं जिन आंसर शीट में कांट-छांटकर नंबर बढ़ाए गए थे, उन्हे भी जांच के लिए बुलवाया था। शिकायतकर्ता बबलू खिंची ने बताया कि लोकायुक्त को शिकायत के बाद भी कुलसचिव द्वारा पद का दुरूपयोग कर विद्यार्थी की कोर्स वर्क परीक्षा करा ली गई। जांच समिति बनी थी, उसमें प्रमाणित हुआ था कि 12 ओएमआर शीट पर डबल गोले थे। बाद में जांच समिति के इस्तीफे के बाद जांच समिति नहीं बनी।
इनके खिलाफ हुआ मामला दर्ज
लोकायुक्त पुलिस ने मामले में जांच के बाद कुलसचिव डॉ. प्रशांत पौराणिक, पूर्व कुलपति व भू-विज्ञान के प्रोफेसर पीके वर्मा, भौतिक शास्त्र के सहायक प्राध्यापक गणपत अहिरवार, इंजीनियरिंग संस्थान के शिक्षक डॉ. वायएस ठाकुर और गोपनीय विभाग के सहायक कुलसचिव वीरेंद्र उचवारे के खिलाफ धारा 420, 468, 471, 201, 120 बी, भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 7 बी के तहत प्रकरण दर्ज किया है। लोकायुक्त पुलिस ने विश्वविद्यालय से छेड़छाड़ की गई आंसर शीट को भी जब्त किया है।