अल्सरेटिव कोलाइटिस (खून के दस्त) से पीड़ित मरीज की बड़ी आंत निकालकर बनाया नया गुदा द्वार |


देवास – अमलतास अस्पताल में 55 वर्ष मरीज रेव सिंह की सबसे जटिल सर्जरी कर डॉक्टरो ने बचाई जान | मरीज को अल्सरेटिव कोलाइटिस नाम की बीमारी से 5 साल से पीड़ित था जिसमे मरीज की बड़ी आंत पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थी एवं जांच (कोलोनोस्कोपी) करने पर बड़ी आंत की आंतरिक सतह में सूजन एवं छाले या घाव (अल्सर) बताया गया जिससे मरीज को दिन में 10 से 15 बार खून के दस्त होते थे एवं मरीज को खाना खाते ही पेट में अत्यधिक दर्द होता था खाना नहीं खाने के कारण मरीज कमजोर एवं अत्यधिक खून की कमी हो गई थी | मरीज पिछले 04 साल से दवाई- गोली लेता आ रहा था किन्तु उसे आराम नहीं मिला | इस बिमारी के उपचार हेतु मरीज को अमलतास अस्पताल में सर्जरी रोग विभाग में सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. दिलीप कोठारी से परामर्श लिया डॉ. द्वारा बताया गया कि ऐसे स्थिति में दवाई द्वारा ईलाज असफल हो जाता हे तब मरीज की सर्जरी करना ही एकमात्र उपाय है एवं सर्जरी की सलाह दी गई चिकित्सको द्वारा सफल ओपरेशन किया गया ओपरेशन द्वारा बड़ी आंत ( जिसकी लम्बाई 4 से 6 फिट ) को निकालकर छोटी आंत से नया गुदा द्वार बनाया गया जिसे 2-3 महीने के बाद दोबारा बंद किया जा सकता है एवं मल मार्ग का रास्ता ठीक किया जायेगा | मरीज की सफल सर्जरी के बाद डॉ. द्वारा बताया गया की यह सबसे जटिल सर्जरी में से एक है एवं चुनोतिपूर्ण भी है | यह जटिल सर्जरी के लिए विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है एवं सिर्फ सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विशेषज्ञ द्वारा ही संभव है| अब मरीज अपना खान पान एवं दैनिक प्रतिकिया आराम से कर सकता है यह सर्जरी लगभग 8 से 10 घंटे में पूर्ण हुई जिसमे डॉ. अर्चना कोठारी डॉ. हिना खान एवं एनेस्थीसिया डॉ. सुनीता जैन की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई | आयुष्मान योजना के तहत यह सर्जरी निशुल्क की गई | अमलतास अस्पताल के चैयरमैन श्री मयंक राज सिंह भदौरिया जी इस सर्जरी की सराहना की एवं बताया गया की सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में इससे पूर्व भी पेट की कई जटिल बीमारियों के ऑपरेशन आधुनिक तकनीक द्वारा किए जा चुके हैं. |

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