बीजेपी की नेता और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने झालावाड़ में एक जनसभा में अपने सांसद पुत्र दुष्यंत सिंह के भाषण और उस पर जनता के रिस्पांस की तारीफ़ें करते हुए कहा, ‘झालावाड़ ने सांसद दुष्यंत सिंह को इतना सिखा दिया है कि अब मैं रिटायर हो सकती हूँ.’ |
उनके भाषण में इतनी सी बात सुनकर बीजेपी के भीतर काफ़ी हलचल होने लगी और उनका यह बयान वायरल हो गया |
लेकिन वसुंधरा राजे ने अगले दिन झालारापाटन से नामांकन दाख़िल करने के दौरान कहा, ”मैं रिटायर होने वाली नहीं हूँ | सेवा का कर्म जारी रहेगा. मैंने सांसद दुष्यंत सिंह की राजनीतिक परिपक्वता से खु़श होकर माँ के नाते कहा कि वे झालावाड़-बारां में अच्छा काम कर रहे हैं |
लेकिन यह सवाल एक सहज जिज्ञासा के रूप में इस बार शुरू से ही पूछा जा रहा है, यह बताइए, अगर वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री पद का चेहरा नहीं होती हैं तो फिर कौन?वजह ये कि इस बार पार्टी हाईकमान ने उन्हें चेहरा घोषित नहीं किया है | उनके बारे में उठ रहे इस सवाल पर सामने वाला शख़्स जवाब देता है: आपने फ़ैज़ की वह ग़ज़ल का वह शेर सुना है?
अब किसी लैला को भी इकरारे-महबूबी नहीं,
इन दिनों बदनाम है, हर एक दीवाने का नाम |
वाक़ई यह बहुत सटीक उपमा है उस परिस्थिति के लिए, जो इन दिनों राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की राजनीति को अंदर ही अंदर मथ रही है | ऐसा कोई दिन और भूभाग नहीं, जहाँ यह प्रश्न न पूछा जा रहा हो |
अब लगभग पूरे टिकट बँट चुके हैं और बिसात बिछ चुकी है; लेकिन यह तय नहीं है कि बीजेपी की सरकार बनेगी या कांग्रेस की. यह भी तय नहीं कि कौन जीतेगा और कौन हारेगा?
इसके बावजूद “मुख्यमंत्री कौन’ वाला प्रश्न मानो हर रिंद, हर साकी, हर खुम, हर पैमाने और हर मयखाने का सवाल हो गया है |
और मज़ेदार क़िस्सा ये है कि अब छोटे-बड़े हर नेता के आसपास के लोग इलाक़ों में चुनाव जीतने का ज़ोर लगाते हुए कहने लगे हैं, ‘आप ज़ोर लगाओ. इस बार साहब या मैम का नंबर आ सकता है !’
और इस तरह इस दौड़ में बहुत से चेहरे दिखाई देते हैं | सुंधरा राजे के चेहरा घोषित होते ही जो बहुत नेता हाशिए पर दिखाई देते थे, अब उनके लिए बहारों के इम्कान बहुत रौशन हैं |
हमने पार्टी के कुछ मज़बूत और संभावित माने जा रहे चेहरों पर नज़र दौड़ाई तो राजस्थान की नई जम्हूरियत का जुग़राफ़िया कुछ यों सामने आया |