सुसनेर/ निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु आमजन में गो सेवा की भावना जागृत करने के लिए एशिया के प्रथम गो अभयारण्य मालवा में चल रहें *एक वर्षीय वेदलक्ष्णा गो आराधना महामहोत्सव* के सप्तम दिवस पर अभयारण्य में स्थित रामचौकी पर श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा के संस्थापक परम श्रद्धेय गो ऋषि स्वामी दत्तशरणानंद जी महाराज ने अपने आशीर्वचन में बताया कि हमारे शास्त्रों में उपासना की बात आई है , देव होकर देव की पूजन करें अर्थात सात्विक होकर हमारे अराध्य की पूजा करें । हमारे आराध्य सतोगुणी है, इसलिए सतोगुणी होकर आराधना करनी चाहिए ।
इस चराचर जगत में केवल मनुष्य ही ऐसा प्राणी है जो सतोगुणी बन सकता है ।मानव सतोगुण के आधार पर सबसे ऊपर उठ सकता है ओर तमोगुण से वह सबसे नीचे भी गिर सकता है। भारत में मानव शरीर ऊपर उठने के लिए ही दिया है। यहां हम उपर जा सकते है । हमारी चेतना को उपर उठाने का साधन वेदलक्षणा गोमाता ही है ,और भगवती गोमाता के दुग्धान एवं गो कृषि अन्न के माध्यम से गोव्रत धारण करें । स्वामी जी ने गोव्रत का मतलब बताते हुए कहां कि दुग्धान्न एवं गोकृषि अन्न अपने आहार में अपनाने को ही गोव्रत कहलाता है । गोव्रत नर को नारायण एवं मानव को देव बनाता है ।
*सनातनी के घर में गाय उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी जीने के लिए श्वास* – स्वामी गोपालानंद सरस्वती
एक वर्षीय गौ कृपा कथा के सप्तम दिवस पर परम पूज्य गोपालानन्द जी सरस्वती जी महाराज जी ने गोकथा में बताया कि गोमाता मानव को सबकुछ देती है । गोमाता की सेवा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। गौ की कृपा से क्षत्रिय विश्वामित्र पहले राज ऋषि ओर फिर ब्रह्म ऋषि कहलाएं।
अग्नि पुराण के 237अध्याय के 91 वें श्लोक में बताया है कि पंचगव्य (गोमूत्र, गोबर, दुग्ध, दही, गोघृत) से स्नान करने से सभी पापों का नाश हो जाता है।
स्वामी जी ने बताया कि सनातन संस्कृति में अपने घर पर अतिथि आगमन पर परिवार की कुशल क्षेम के साथ गौ की कुशल क्षेम पूछी जाती थी लेकिन आजकल ये सब विलुप्त हो गया है।
स्वामी जी ने कहां कि सनातन घर में जिस घर में गौ नहीं है, यह उचित नहीं है। सनातन के घर में गाय उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी जीवन जीने के लिए श्वास । क्योंकि जिनके पास गौ की शक्ति है उन्हें कोई नहीं डरा सकता है ।
स्वामी जी ने बताया कि भाव से गो करने से *पाव दूध देने वाली गईया मैया अद्भुत कल्याण करती है ।
एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के सप्तम दिवस पर महन्त श्रीश्याम दास जी महाराज ने कहां की गौ, गोविन्द एवं गुरु इन्हे धारण करने से ही सनातन धर्म का रक्षण होता है ।अर्थात जब जीव पर गौ, गोविंद एवं गुरु की कृपा हो जाती है तो जीवन धन्य हो जाता है ।
महाराज जी ने कहां कि बसंत आता है तो प्रकृति हरी भरी होती है ओर संत आते है तो जीवन हरा भरा बन जाता है।
महोत्सव में लव खेड़ी उज्जैन आश्रम के महंत श्री सीताराम जी महाराज, एवं मैना गोशाला के पूज्य संत घनश्याम दास जी महाराज पधारे ।
*सप्तम दिवस का गो भंडारा एवं चूनड़ी यात्रा जमूनिया (बडौद) की ओर से*
एक वर्षीय गोकृपा कथा के सप्तम दिवस के शुभावसर पर आगर जिले की बडौद तहसील के जमुनिया ग्राम की और से शिवसिंह जी भारतसिंह जी देवीसिंह जी कालूसिंह जी सरपंच रणजीतसिंह जी डॉ विक्रमसिंह जी शिवसिंह जी भगवानसिंह जी पटेल शंकरसिंह जी पटेल भैरूसिंह जी उल्फतसिंह जी जयपालसिंह जी शंकरलाल जी लोहार भगवानलाल जी मालवीय एवं समस्त मातृशक्ति चुनड़ी यात्रा एवं 40क्विंटल से अधिक अन्न भंडारा अपने साथ लेकर कथा स्थल पर पहुंचे । चुनडी यात्रा एवं गो भंडारे में पधारे सभी जमुनिया वासियों ने पूज्य पथमेड़ा बाऊजी एवं स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती जी महाराज से आशीर्वाद लिया । ओर अंत में सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण ग्रहण किया ।