सतवास -ग्राम चतरपुरा में अधूरी पड़ी नहर का निर्माण कार्य एक बार फिर अफसरों की टालमटोल में फंस गया है। सिंचाई विभाग जहां तार फेंसिंग को अतिक्रमण मानकर काम रोक रहा है, वहीं सतवास तहसीलदार हरिओम ठाकुर साफ कह चुके हैं कि कोई रुकावट नहीं है और निर्माण शुरू किया जा सकता है। इसके बावजूद विभाग अब लिखित आदेश की मांग कर रहा है और काम टाल रहा है। मामले की जड़ एक किसान की तार फेंसिंग है, जिसे सिंचाई विभाग अतिक्रमण मान रहा है। जबकि राजस्व विभाग ने अब तक यह स्पष्ट नहीं किया कि जमीन पर कब्जा है या नहीं। किसान खुद आगे आकर कह चुका है कि मिट्टी की जरूरत पड़ी तो वह दे देगा, और तहसीलदार ने भी दो टूक कहा है – अगर मशीन चलाने में फेंसिंग बाधा बनी तो हटवानी पड़ेगी।
इसके बावजूद जब तहसीलदार ने SDO मयंक परमार को मौखिक अनुमति दी, तो उन्होंने पहले कहा कि दो-तीन दिन में काम शुरू करवा देंगे। लेकिन जब किसानों ने दोबारा बात की तो जवाब मिला – “अभी नहीं कह सकते कब काम शुरू होगा, पहले तहसीलदार से लिखित में लाओ।” यही बात इंजीनियर सीताराम बाडोलिया ने भी कही।
किसानों का कहना है कि मामला देवास कलेक्टर और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान तक जा चुका है, जब नहर के किनारे तरफेसिंग करने वाला व्यक्ति मिट्टी देने को खुद तैयार है, तहसीलदार ने मौखिक सहमति दे दी है – फिर सिंचाई विभाग ही बहाने बना रहा है। उनका कहना है कि अब असली रुकावट फेंसिंग नहीं, बल्कि खुद विभाग की लापरवाही और निर्णयहीनता है।
गौर करने वाली बात है कि खरीफ के सीजन में तो बारिश से खेतों में पर्याप्त पानी आ जाता है, इसलिए नहर की असली जरूरत रबी फसल के वक्त होती है, जब पानी का कोई दूसरा स्रोत नहीं होता। ऐसे में नहर का निर्माण अभी नहीं हुआ तो किसानों को रबी में भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। यह वही नहर है जिसकी गुणवत्ता पहले भी सवालों में रही है आधा-अधूरा निर्माण और टूट-फूट के बाद अब जब किसानों ने खुद सहयोग की पहल की है, तो विभागीय बहानेबाजी उनकी उम्मीदों को तोड़ रही है। गांव के लोगों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द निर्माण शुरू नहीं हुआ तो वे धरना-प्रदर्शन करेंगे और जिम्मेदार अफसरों की जवाबदेही तय करने की मांग उठाएंगे।


