एमआरआई, एक्सरे मशीन, वेंटिलेटर से लेकर अन्य उपकरण, उज्जैन में 360 एकड़ में बनेगा मेडिकल डिवाइस पार्क

कोरोना महामारी के बीच मप्र के लिए एक अच्छी खबर है। देश में चार मेडिकल डिवाइस पार्क को सैद्धांतिक मंजूरी मिली है। इनमें एक मप्र को मिला है। प्रदेश में यह पार्क उज्जैन के विक्रमपुरी औद्योगिक क्षेत्र में 360 एकड़ में बनेगा। इसमें 106 प्लॉट रहेंगे। एमपीआईडीसी इंदौर इसे विकसित करेगा। इसके लिए केंद्र से 100 और राज्य से 100 करोड़ रुपए मिलेंगे। इसकी डीपीआर केंद्र सरकार को औपचारिक मंजूरी के लिए भेजी है।

नए साल में इसका काम शुरू होगा और दो से तीन साल में तैयार हो जाएगा। पार्क में वेंटिलेटर, एक्सरे मशीन, सीटी स्कैन, एमआरआई मशीन, पेस मेकर सहित बॉडी में लगने वाले विविध पार्ट बनाने वाली यूनिट स्थापित होंगी। पार्क में दो हजार करोड़ का निवेश होगा। पांच हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा।

इस पार्क के बनने से मेडिकल उपकरण पर देश की निर्भरता बढ़ेगी। अभी 70 फीसदी से ज्यादा मेडिकल उपकरण विदेशों से आते हैं। आत्मनिर्भर भारत के तहत देश में पहली बार मंजूर हुए चार सरकारी पार्क मप्र अलावा तमिलनाडु, हिमाचल और यूपी में बनेंगे।

इसलिए मप्र को मिला पार्क- सबसे सस्ती जमीन व बिजली-पानी सहित कई सुविधाओं पर सब्सिडी

राज्यों से आए प्रस्ताव में मप्र का प्रस्ताव सस्ती जमीन के कारण काफी अहम रहा। यहां प्लांट लगाने वाले निवेशक को केवल एक रुपए प्रति वर्गमीटर प्रीमियम पर जमीन मिलेगी। सालाना केवल 20 रुपए प्रति वर्गमीटर का लीज रेंट लिया जाएगा। इसके साथ ही 4.36 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली के साथ कम दर पर पानी मिलेगा। 10 करोड़ के कर्ज पर 5 फीसदी की इंटरेस्ट सहायता, लघु एवं मध्यम उद्योगों को 10 साल तक प्लांट व मशीनरी पर सब्सिडी मिलेगी।

देशभर से 16 राज्यों ने प्रस्ताव भेजे थे

केंद्र द्वारा मांगे गए प्रस्ताव पर 16 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों ने अपने-अपने राज्यों में पार्क विकसित करने का प्रस्ताव भेजा था। राज्यों की तरफ से उपलब्ध कराई जाने वाली सुविधा इसमें खासकर सस्ती जमीन अहम थी, इसके साथ पार्क में लगने वाली मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट को दिए जाने वाले इंसेंटिव को शामिल किया गया था।

मेडिकल डिवाइस का देश में 70 हजार करोड़ का सालाना बाजार है

मंत्रालय के अनुसार भारत में मेडिकल डिवाइस का रिटेल मार्केट करीब 70 हजार करोड़ रुपए साल का है। मेडिकल डिवाइस की 250 अरब डॉलर की ग्लोबल इंडस्ट्री में भारत की हिस्सेदारी केवल दो फीसदी है।

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