फिल्मों में ‘मां’ के रोल के लिए फेमस रहीं निरूपा रॉय का आज जन्मदिन है। उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत गुजराती फिल्मों से की। अपने पांच दशक लंबे करियर में उन्होंने लगभग 300 फिल्मों में एक्टिंग की। उनकी पर्सनल लाइफ भी काफी इमोशनल रही। नजर डालते हैं उनकी लाइफ के दिलचस्प फैक्ट्स पर…
रेलवे कर्मचारी थे पिता, 14 की उम्र में की थी शादी
निरूपा रॉय का जन्म गुजरात के वलसाड़ में ट्रेडिशनल गुजराती चौहान फैमिली में हुआ। उनके पिता किशोर चंद्र बुलसारा रेलवे में कर्मचारी थे। फिल्मों में आने से पहले निरूपा का नाम कांता चौहान था। उनके मम्मी-पापा उन्हें प्यार से ‘छीबी’ कहकर बुलाते थे। कांता उर्फ निरूपा स्कूल में थीं, जब उनके पिता ने उनकी शादी कमल रॉय से कर दी। उस वक्त उनकी उम्र महज 14 साल थी। शादी के बाद कांता का नाम बदलकर कोकिला रख दिया गया। 1945 में वो अपने पति के साथ मुंबई आ गईं।
पति के कहने पर बनी एक्ट्रेस, पापा हुए थे नाराज
निरूपा रॉय के पति कमल राशन इंस्पेक्टर की नौकरी कर रहे थे। उनके अंदर एक्टर बनने की चाहत थी, इसलिए ऑडिशन देते रहते थे। शादी के महज 4 महीने बाद कमल एक गुजराती फिल्म के लिए ऑडिशन देने गए थे। वे अपने साथ निरूपा को भी ले गए। डायरेक्टर फिल्म के लीड रोल के लिए हीरोइन खोज रहा था। उसने कमल को तो रिजेक्ट कर दिया, लेकिन निरूपा को देखते ही लीड रोल ऑफर कर दिया। पति के कहने पर निरूपा ने पहली गुजराती फिल्म ‘रनकदेवी’ की थी।
यही नहीं, उस फिल्म के लिए उन्होंने अपना नाम कोकिला बलसारा से निरूपा रॉय रखा था। उस जमाने में घर की बेटी का फिल्मों में काम करना बुरा माना जाता था। यह खबर सुनने के बाद फैमिली में हंगामा मच गया था। खासकर उनके पिता इस बात से काफी नाराज थे। निरूपा रॉय ने एक इंटरव्यू में कहा था, “मेरे फिल्म साइन करने के बाद पापा ने कहा था कि वो मुझसे रिश्ता खत्म कर लेंगे। वक्त के साथ सभी ने मेरे फिल्मी करियर को अपना लिया था, लेकिन पापा अंतिम सांस तक अपनी कही बात पर अडिग रहे। मेरी मां मुझसे छुपकर मिलती थीं।”
1951 में आई ‘सिंदबाद दी सेलर’ में उन्हें ऐसी युवती का रोल मिला, जो तलवार चलाती है और मारधाड़ करती है। पचास और साठ के दशक में निरूपा ज्यादातर धार्मिक फिल्मों में ही नजर आई। 1953 में रिलीज हुई बिमल राय की ‘दो बीघा जमीन’ उनके लिए मील का पत्थर साबित हुई।
बिग बी की ऑनस्क्रीन मां
1975 में रिलीज हुई फिल्म ‘दीवार’ निरूपा की खास फिल्मों में से एक है। यश चोपड़ा के डायेरक्शन में बनी इस फिल्म में उन्होंने शशि कपूर और अमिताभ बच्चन के मां का किरदार निभाया था। आगे चलकर उनकी इमेज बिग बी की मां के रूप में ही बन गई, जिसे काफी सराहा भी गया। इसके बाद ‘खून पसीना’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’, ‘अमर अकबर एंथोनी’, ‘सुहाग’, ‘इंकलाब’, ‘गिरफ्तार’, ‘मर्द’ और ‘गंगा-जमुना-सरस्वती’ जैसी फिल्मों में भी वो अमिताभ की मां के रोल मे दिखाई दीं। नब्बे के दशक के में रिलीज हुई फिल्म ‘लाल बादशाह’ में वो आखिरी बार अमिताभ बच्चन की मां के किरदार में नजर आईं। अपनी दमदार एक्टिंग से ऑडियंस के दिल को छू लेने वाली निरूपा राय का 13 अक्टूबर 2004 को निधन हो गया।