शनिवार को उज्जैन आए केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान दरअसल अपने पांच साल पुराने दोस्त कमल बागड़ी से मिलने आए थे। दोस्ती भी ऐसी कि पांच साल में अब तक एक बार भी नहीं मिले। केवल फोन पर बातें हुईं या व्हॉट्सएप पर मैसेज किये। मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब यात्रा का विरोध करने वालों को संविधान का पाठ भी पढ़ाया। कहा, प्रधानमंत्री पार्टी का नहीं होता, वो देश का होता है। उनका विरोध करना संविधान की आत्मा का विरोध करना होता है।
राज्यपाल आरिफ मो. खान ने शनिवार को महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन किये। मंदिर से वे सीधे अपने दोस्त के यहां चले गए। यहां से निकलने के बाद उन्होंने मीडिया से चर्चा में कहा अपने पांच साल पुराने वर्चुअल दोस्त से मिलकर प्रसन्नता हुई।
क्या कहा दोस्त बागड़ी ने –
कमल बागड़ी।
कमल बागड़ी ने कहा राज्यपाल आरिफ मो. खान ने मेरी किताबें पढ़ी होंगी। इसके बाद उन्होंने कहीं से मेरा मोबाइल नंबर तलाशा और मुझे फोन किया। पहली बार बात करने पर दोनों ने सहजता महसूस की। फिर हमारी बातें लगातार होने लगीं। मैं अभी तक उनसे नहीं मिला। ये हमारी पहली मुलाकात है।
महाकाल मंदिर आने पर कैसा लगा –
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि महाकाल मंदिर में आकर अनुभव बताना ये तो बिलकुल ऐसा है जैसे गूंगे को मीठा खिलाकर स्वाद पूछ लेना। महाकालेश्वर के दर्शन लाभ लेना यहां आने के बाद जरूरी है। देश की सुख-समृद्धि, प्यार-मोहब्बत के लिए हमने दर्शन कर आशीर्वाद लिया है।
मोदी की पंजाब यात्रा के विरोध पर –
प्रधानमंत्री किसी पार्टी का नहीं पूरे देश का होता है। आप संविधान की धारा 51ए पढ़िये। फिर उसका उपखंड ए भी पढ़िये। उसमें लिखा है नागरिक की हैसियत से हमारा या दायित्व है कि हम कानून-संविधान का अनुसरण करें। राष्ट्रीय आदर्श और राष्ट्रीय संस्था के अंतर्गत आती है उसे विवाद का विषय बनाना संविधान की आत्मा के विरुद्ध जाना है। राष्ट्रीय आदर्श और राष्ट्रीय संस्था का सम्मान करना प्रत्येक भारतीय नागरिक का कर्तव्य है।