शहर में अब केवल वैध आटो ही सवारियां ले बैठा सकेंगे। आटो रिक्शा के पांच कागज पूरे होने पर ही एक यूनिक नंबर दिया जा रहा है, जिसके लिए यातायात थाने में कतार लग रही है।
यहां वही गाड़ियां आ रही हैं जिनके पास सारे कागजात हैं। यातायात थाने पर वैक्सीन लगवाने वालों की तरह ही आटो रिक्शा वालों की कतार लग रही है।
सुबह से शाम तक एक-एक आटो के रजिस्ट्रेशन, फिटनेस, बीमा, परमिट के साथ ही चलाने वाले का लाइसेंस देखा जा रहा है। बीमा कब खत्म होगा, परमिट और फिटनेस कब तक का है, पुलिस यह भी रिकार्ड रख रही है। पुलिस की मंशा है कि शहर में चलने वाले आटो रिक्शा का डाटा तैयार कर लिया जाए तो बाद में इन पर नकेल कसना आसान रहेगा। हाई कोर्ट के आदेश के बाद पिछले महीने इन पर चली मुहिम के बाद यूनिक नंबर लगाने की मुहिम रंग ला रही है। आटो वाले भी समझ गए हैं कि आज नहीं तो कल नियम कायदों में रहना पड़ेगा। इसलिए यूनिक नंबर लेने के लिए आटो के सारे कागज पूरे कराए जा रहे हैं। मीटर तक की जांच करवा कर बता रहे हैं। करीब सवा तीन सौ आटो रिक्शा पर यूनिक नंबर लग चुके हैं। यूनिक नंबर लगाने से पहले ट्रैफिक पुलिस रिक्शा के एक-एक कागज की जांच और रिकार्ड दर्ज कर रही है। यूनिक नंबर के बाद आटो रिक्शा की चेकिंग आसान होगी और इसमें सफर करने वालों को भी परेशानी नहीं होगी। ट्रैफिक डीसीपी महेशचंद जैन ने एपीसी यूनिक नंबर योजना शुरू की है। जल्द ही सड़कों पर दौड़ने वाले सभी आटो अब वैध दिखाई देंगे।