जनसामान्य की भाषा ही राजभाषा…

आपस में मिलकर बोले जाने वाली जनसामान्य की भाषा ही राजभाषा है। इसकी पहली पहचान इसका प्रचलन है। यह बात मुख्य वक्ता प्रो. अरुण कुमार, पूर्व प्राचार्य जीएस कालेज ने कही।

वे खरपतवार अनुसंधान निदेशालय में एक दिवसीय राजभाषा कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।

राजभाषा पर बौद्धिक परिचर्चा और प्रशिक्षण कार्यशाला का दो सत्र में आयोजन किया गया। पहले सत्र में प्रो. अरुण ने आज के परिदृश्य में राजभाषा का महत्व पर अपनी बात रखी। वहीं दूसरे सत्र में वक्ता घनश्याम नामदेव, सहायक निदेशक हिन्दी शिक्षण योजनाएं ने कम्प्यूटर में यूनिकोड का प्रयोग और इससे जुड़ी तकनीकी पर अपने विचार रखे।

दीप प्रज्ज्वलन से कार्यक्रम का शुभारंभ : प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन निदेशालय के निदेशक डा. जेएस मिश्रा, वरिष्ठ विज्ञानी डा. केपी सिंह और बसंत मिश्रा ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया। बसंत मिश्रा, प्रभारी राजभाषा द्वारा संस्थान की उपलब्धियों और राजभाषा के प्रचार प्रसार के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि जर्मनी में 11 विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जा रही है। लोगों में भाषा रोज बदल रही।

भाषा एक अहसास है : मुख्य अतिथि प्रो. अरुण ने कहा कि कोई भी भाषा संग साथ में बोली जाने वाली जनसामान्य की भाषा ही राजभाषा है। संसार का कोई भी देश अपनी भाषा की अवहेलना करके प्रगति नहीं कर सकता। निदेशक डा. मिश्र ने संस्थान में किए जा रहे अनुसंधानों एवं प्रयासों की जानकारी दी। कार्यशाला में लगभग 80 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिसमें 30 से ज्यादा केंद्रीय संस्थानों के प्रतिनिधियों के साथ ही निदेशालय के अधिकारियों के साथ कर्मचारी उपस्थित रहे।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles