राजधानी में स्थित मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (मैनिट) में पीएचडी शोधार्थियों की दस दिन से जारी हड़ताल भोपाल सांसद प्रज्ञासिंह ठाकुर के आश्वासन के बाद खत्म कर दी गई थी।
सांसद ने शोधार्थियों से मिलकर उन्हें आश्वासन दिया था कि आपकी मांगें मानी जाएंगी, लेकिन अब तक मैनिट प्रशासन द्वारा आदेश जारी न किए जाने से शोधार्थी नाराज हैं और अब उन्होंने इंटरनेट मीडिया पर प्रबंधन के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है।
पीएचडी शोधार्थी मनोज दिवाकर का कहना है कि सांसद के हस्तक्षेप के कारण हमने अभी आंदोलन रोक दिया है, लेकिन यदि शीघ्रता से मैनिट प्रबंधन ने हमारी मांगों को पूरा नहीं किया तो आमरण अनशन करेंगे। तब तक नहीं उठेंगे, जब तक कि लिखित में हमारी समस्त मांगें मानकर आदेश पारित नहीं कर दिए जाते। उनका कहना है कि मैनिट प्रशासन ने सांसद को न बैठने के लिए कहा और न उनके साथ मर्यादित भाषा का उपयोग किया। सांसद जनता द्वारा चुनी गई जनप्रतिनिधि हैं। उनके साथ इस प्रकार का व्यवहार हम सब को अपमानित करने जैसा ही है। मैनिट प्रशासन इसके लिए लिखित में सांसद से माफी मांगे और यदि माफी नहीं मांगी गई तो हम सभी विरोध प्रदर्शन करेंगे। अपनी मांगों के लिए इंटरनेट मीडिया पर मुहिम चला रहे हैं।
शोधार्थियों की मांग है कि जुलाई 2019 से पीएचडी शोधार्थी को दी जाने वाली गृह भत्ता की राशि को एक माह अक्टूबर के बाद नहीं दिया गया। जुलाई 2019 से ही उन्हें गृह भत्ता की राशि का एरियर दिया जाए। कोरोना काल के कारण विगत डेढ़ वर्ष तक पीएचडी शोधार्थी मैनिट कैंपस में नहीं आए थे, जिससे उनका रिसर्च कार्य नहीं हो पाया, लेकिन मैनिट प्रशासन ने हाल ही में एक सर्कुलर जारी कर पीएचडी शोधार्थी जिन्हें तीन वर्ष पूर्ण हो गए हैं, उनका स्टाइपेंड रोक दिया है। वहीं एससी/एसटी के पीएचडी शोधार्थी पर नियम विरुद्ध ट्यूशन फीस भरवाने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। उनके रजिस्ट्रेशन फार्म जमा करने से मैनिट प्रशासन द्वारा मना किया जा रहा है।