बीमार मानव की सेवा को बनाया लक्ष्य, कोई भूखा ना रहे इसलिए होती है लंगर सेवा

शहर के कई धार्मिक व समाजिक संगठन धर्म-समाज से परे अपने सेवा कार्यों से सामाजिक समरसता का संदेश दे रहे हैं। इस कड़ी में आद्य गौड़ ब्राह्मण सेवा न्यास का आरोग्य प्रकोष्ठ मानवसेवा को लक्ष्य बनाकर बनाकर बीमारों को जीवन रक्षक मेडिकल उपकरण प्रदान कर रहा है तो सिख समाज के सात गुरुद्वारों में कोई भूखा न रहे इसीलिए 24 घंटे लंगर सेवा संचालित की जा रही है।

इसके अतिरिक्त संस्था सृजन द्वारा 16 साल से सर्वधर्म सामूहिक विवाह सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।

आद्य गौड़ ब्राह्मण सेवा न्यास ने आम आदमी को अस्पताल में इलाज के खर्च से राहत दिलाने के लिए आरोग्य प्रकोष्ठ का गठन किया था। इसके लिए शुरुआती दौर में आठ लाख रुपए के 300 चिकित्सा उपकरण खरीदे गए थे। इन संसाधनों को नलिया बाखल स्थित समाज की धर्मशाल से किसी भी धर्म व जाति का जरूरतमंद व्यक्ति प्राप्त कर सकता है। चिकित्सा उपकरण बैंक में 50 पलंग (फोल्डिंग), 30 गादी, 15 एयरबेड, 40 व्हीलचेयर, 20 ऑक्सीजन सिलिंडर हैं। इसके अलावा ऑक्सीजन कॉन्सट्रेटर, ऑक्सीजन फ्लो मीटर, बेड स्पोटर, स्टिक हैंडल स्पोर्ट, स्टीक, कमोड चेयर, नेब्युलाइजर, वॉकर (फोल्डिंग), आईवी स्टैंड (बॉटल चढ़ाने के लिए), ट्रेक्शन बेल्ट, घुटने के बेल्ट है। प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अखिलेश शर्मा और महामंत्री विनय शर्मा का कहना है कि संस्था से शहर का कोई भी जरूरतमंद बाशिंदा उपकरण ले जा सकता है। इस सहायता को प्राप्त करने के लिए न जाति का बंधन है और न ही किसी धर्म का।

सिख समाज : बिना भेद सात गुरुद्वारों में 24 घंटे लंगर सेवा

सिख समाज द्वारा शहर के सात गुरुद्वारों में सातों दिन 24 घंटे लंगर सेवा का संचालन किया जाता है। इसमें कोई जाति और धर्म का भेद नहीं है। इसके पीछे समाज की मंशा गुरुद्वारे के द्वार से कोई भूखा न जाए। इसके लिए लंगर सेवा गुरुद्वारा इमली साहिब, गुरुद्वारा बेटमा साहिब, गुरुद्वारा इमली साहिब, गुरुद्वारा पिपल्याराव, खालसाबाग गुरुद्वारा, तेजाजी नगर, गुरुद्वारा नानक साहब बायपास में संचालित की जाती है। गुरुसिंघ सभा के सचिव जसबीर सिंह गांधी कहते है कि लंगर कोई भी चख सकता है। इसमें धर्म-समाज का किसी तरह का बंधन नहीं है। यह सेवा हर दिन गुरुद्वारों में चलती है। इसके साथ ही उपचार के लिए समाज के विभिन्न संगठन और गुरुद्वारों द्वारा डिस्पेंसरी और पेथालाजी का संचालन भी किया जा रहा है।

एक पंडाल में होती शादी और निकाह, साथ नजर आते चारों धर्म के दुल्हा-दुल्हन

संस्था सृजन ने समाजिक समरसता के लिए शहर में पहली बार सर्वधर्म सामूहिक विवाह सम्मेलन का आयोजन 2006 में किया था। अब तक संस्था द्वारा ऐसे 11 सामूहिक विवाहों का आयोजन किया गया जिसमें 773 जोड़ों परिणय सूत्र में बंधे। एक पंडाल के नीचे जहां हिंदू रीति-रिवाज से शादी होती है वहीं निकाह भी पढ़ाया जाता है। साथ ही सिख और ईसाई अपने पारंपरिक रीति-रिवाज से गुरुद्वारे और चर्च में विवाह कर इस अवसर पर निकलने वाले चल समारोह में शामिल होते हैं।

संस्था सृजन के अध्यक्ष कमलेश खंडेलवाल कहते है कि आयोजन के पीछे हमारा धार्मिक और समाजिक सद्भाव को बढ़ावा देना है। एक पंडाल के नीचे जब विभिन्न धर्म और समाज को मानने वाले एकत्रित होते है यह समाजिक समरसता का अनूठा नजारा होता है। सामूहिक विवाह के आयोजन में करीब 240 समाज के जोड़ों का विवाह कराया जा चुका है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here