संक्रांति पर पतंगबाजी के शौकिनों के कारण पक्षियों की मौत हो जाती है। दिन में दिव्यांगों की मदद करने के बाद पक्षियों की जान बचाने निकल जाते हैं उज्जैन के ओम योगी। वे बीते 10 दिन में 50 से अधिक पक्षियों की जान बचा चुके हैं।
ओम ने बताया कि चायना डोर व अन्य धागों से पक्षी फंस जाते हैं और उनकी मौत हो जाती है। पेड़ पर चढ़ने के कारण कई बार उनके पैरों की हड्डी भी टूट चुकी है। रेलवे स्टेशन के पेड़ों से दो तोते को भी बचाया गया है। ओम ने बताया कि कई बार पक्षी इतने ज्यादा घायल हो जाते हैं कि उन्हें पेड़ों से निकालने के बाद इलाज करने के लिए घर रखना पड़ता है।
ओम कहते हैं संक्रांति के बाद से अब तक वे जिला अस्पताल में लगे पेड़ों से 7 बगुलों को निकला था। जिसमें से 2 की मौत हो गयी थी, लेकिन 5 जीवित थे। शनिवार को भी नरसिंह घाट से 5 जिन्दा कौवे का रेस्क्यू किया। बाज़ और चील का भी रेस्क्यू किया है।
फोन कर बुलाते हैं शहरवासी
बीते 10 वर्षो से पक्षियों की जान बचाने का नेक कार्य करा रहे ओम को लोग अब अपनी क्षेत्र में पक्षियों को पेड़ो से निकालने के लिए बुलाते हैं। संक्रांति पर बुलाने वाले लोगों के कॉल में एक दम इजाफा हो जाता है। इस नेक काम के लिए महाकाल मंदिर समिति भी ओम का पूरा सहयोग करती है।