कोरोनाकाल के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी से वृद्धि देखी गई है। यह सब मध्यम आय वर्ग की वजह से संभव हुआ है, क्योंकि पहली लहर के बाद सरकार ने अपनी नीतियों में काफी बदलाव किया।
इसके चलते कोविड के दौरान व्यापारियों ने अपना काम बंद नहीं किया। व्यापार थोड़ा प्रभावित हुआ, मगर मनी फ्लो चलते रहने से अर्थव्यवस्था बिगड़ी नहीं। यहां तक लोगों को आवश्यक वस्तुएं मिलती रहीं। हालांकि महंगाई थोड़ी बढ़ी है। इसने प्रत्येक वर्ग पर असर डाला है।
यह बात अर्थशास्त्री व देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष डा. गणेश कावड़िया ने कही। शनिवार को स्कूल आफ इकानोमिक्स में बजट पूर्व संगोष्ठी 2022 आयोजित की गई। अलग-अलग क्षेत्रों के विषय विशेषज्ञों व वक्ताओं ने आगामी केंद्रीय बजट से अपनी अपेक्षाओं के बारे में चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि कोरोना की पहली लहर के दौरान पूर्ण लाकडाउन था। चिकित्सा क्षेत्र को छोड़कर बाकी व्यवसाय पूरी तरह बंद था। शुरुआती दौर में लोगों को थोड़ी परेशानी आई, लेकिन बाद में कोरोनाकाल में सख्ती बढ़ाई गई। मगर व्यापार पर असर कम दिखा। जिसने अर्थव्यवस्था को बेपटरी नहीं होने दिया। अब सरकार को मध्यम व उच्च मध्यम आय को बढ़ावा देने के लिए कुछ जगह देनी चाहिए। ताकि इस समूह के व्यक्तिगत खपत को बढ़ावा मिले। वहीं प्रो. दीपक टंडन ने कहा कि सरकार को ट्रिपल आर पर ध्यान देने की जरूरत है, जिसमें रिलीफ, रिकवर और रिफार्म शामिल है। सरकार का प्रमुख ध्यान मांग निर्माण पर होना बहुत जरूरी है। संगोष्ठी में अभिषेक भट्ट, विभागाध्यक्ष डा. कन्हैया आहूजा ने भी अलग-अलग विषयों पर अपनी बात रखी। संचालन डा. विशाखा कुटुम्बले ने किया। आभारा डा. सखाराम मुजाल्दे ने माना।