भोपाल – जब खुद पर तपेदिक जैसी बीमारी की मार पड़ी तो जीवन में संघर्ष समझ में आया। कई लोगों ने मदद की तो कुछ लोगों ने टीबी की बीमारी के नाम पर मदद करने से मुंह मोड़ लिया।
आखिरकार दृढ़ इच्छाशक्ति और सकारात्मक सोच की वजह से वह इस बीमारी से अब पूरी तरह से उबर गए। साथ ही संकल्प लिया कि इस बीमारी से पीड़ित दूसरे मरीजों का मनोबल बढ़ाएंगे। उन्हें संबल देंगे। कोई पिछले चार साल से तो कोई तीन साल से इन मरीजों के घर जाकर काउंसलिंग कर उन्हें मानसिक तौर पर मजबूत बना रहा है। यह कहानी है भोपाल के उन 30 लोगों की, जो टीबी की बीमारी से पूरी तरह से उबर चुके हैं। इन्हें टीबी चैंपियन कहा जाता है। इसमें से ज्यादातर बच्चे हैं।
जिला टीबी फोरम की सोमवार को कलेक्टर की अध्यक्षता में हुई बैठक में उन्हें 2000-2000 रुपए की राशि पुरस्कार स्वरूप दी गई। जिला टीबी अधिकारी डा. मनोज वर्मा ने बताया कि टीबी से ग्रसित होने के बाद कई लोग हीन भावना का शिकार हो जाते हैं। ऐसे लोगों को ये टीबी चैंपियन उनके घर जाकर बीमारी के बारे में बताते हैं। यह भी समझाते हैं कि यह बीमारी पूरी तरह से ठीक हो जाती है, लेकिन नियमित तौर पर दवाई लेनी है। घरवालों से भी घुल-मिलकर उन्हें बताते हैं कि टीबी मरीज के साथ किसी तरह का भेदभाव न करें। इसके अच्छे परिणाम भी आए हैं। प्रभावित परिवार के लोग भी अब अपनी जांच कराने के लिए आगे आने लगे हैं।