कबीटखेड़ी के स्लज हाइजीनेशन प्लांट में स्लज (गाद) की टेस्टिंग शुरू हुई। 72 घंटे से कोबाल्ट-60 सोर्स को प्लांट में पानी के कुंड से बाहर लाकर रखा गया है
34 कैरियर में एल्युमिनियम के 68 बक्से रखे गए हैं। बोर्ड आफ रेडिएशन एंड आइसोटोप टेक्नोलाजी की टीम के दो सदस्य इन बक्सों में सीवेज का स्लज डालकर कोबाल्ट सोर्स के सामने ले जा रहे हैं।
शुरुआत में छह बक्सों में डोजीमीटर डाले गए थे। अब छह अन्य बक्सों में भी डोजीमीटर डाले गए हैं। इससे पता चल सकेगा कि रेडिएशन का उपयोग कितनी मात्रा में किया गया है। इस आधार पर यह पता किया जा सकेगा कि कितनी मात्रा में रेडिएशन देने से स्लज में मौजूद कीटाणु पूरी तरह नष्ट हो जाएंगे। इसके बाद तय होगा कि स्लज को कितनी देर के लिए कोबाल्ट-60 सोर्स के सामने रखा जाए। गौरतलब है स्लज हाइजीनेशन प्लांट में 29 जनवरी को सबसे पहला स्लज वाला एल्युमिनियम बक्सा डाला गया था। इसे 4 फरवरी को इसे निकालकर देखा जाएगा कि कितनी मात्रा में कोबाल्ट सोर्स का उपयोग हुआ है। स्लज के बक्सों की जांच प्रक्रिया 10 फरवरी तक पूर्ण होगी।
5 फरवरी से शुरू होगा एनपीके केमिकल तैयार करने का काम – स्लज में कोबाल्ट-60 सोर्स से कीटाणु नष्ट करने के बाद प्लांट परिसर में तैयार हुए बायो एनपीके लैब में तैयार नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम को मिलाया जाएगा। आणंद (गुजरात) के कृषि विश्वविद्यालय के सीनियर व जूनियर माइक्रोबायोलाजिस्ट की टीम कबीटखेड़ी स्थित स्लज हाइजीनेशन प्लांट की लैब में 5 फरवरी से एनपीके केमिकल को तैयार करना शुरू करेगी। 10 फरवरी तक करीब 20 लीटर केमिकल तैयार कर लिया जाएगा। फिर इसे निर्धारित मात्रा में कोबाल्ट सोर्स से उपचारित किए गए स्लज में मिलाया जाएगा। इस तरह यहां के प्लांट में स्लज से गुणवत्ता पूर्ण जैविक खाद तैयार हो जाएगी। इसे किसानों को देने की योजना है।