बिजली चोरी रोकने के लिए बिजली कंपनी चाहे जितने जतन कर ले, बिजली चोर उससे दो कदम आगे रहते हैं। बिजली कंपनी 114 करोड़ खर्च कर अंडरग्राउंड तार बिछाने की तैयारी कर ही रही है कि बिजली चोरों ने पहले ही इसी तरीके से चोरी शुरू कर दी। इसका खुलासा पुराने शहर के स्टेशन बजरिया इलाके में हुआ।
यहां अंडरग्राउंड केबलिंग कर बिजली चोरी की जा रही थी। इसके लिए ट्रांसफार्मर के डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स से पानी सप्लाई में इस्तेमाल किए जाने वाले 2 इंच डायमीटर के पाइप में 10 एमएम की केबल डाल कर जमीन के अंदर बिछा दी गई थी। इसके सहारे 500 मीटर दूर तक कनेक्शन ले जाया गया था।
इस तरीके से 100 घरों में बिजली सप्लाई की जा रही थी। इस कारनामे को सालभर से अंजाम दिया जा रहा था। कंपनी के अमले ने 7 लोगों के खिलाफ विद्युत अधिनियम की धारा 135 के तहत बिजली चोरी का मामला दर्ज किया है। 1 साल में करीब 1.57 लाख रुपए की बिजली चोरी की गई।
इन इलाकों में सबसे ज्यादा
- काजी कैम्प फीडर पर 79%
- बाग फरहत अफजा फीडर पर 79.58%
- टीला जमालपुरा फीडर परर 81.43%,
- आरिफ नगर फीडर पर 88.40%
- बाजपेयी नगर फीडर पर 93.66%
गिरोह सक्रिय है- उपभोक्ताओं से डील कर चार तरह से करते हैं बिजली चोरी
कंपनी के अधिकारियों के मुताबिक बिजली चोरी के लिए एक गिरोह काम करता है। इसमें बिजली की तकनीक को बारीकी से समझने वाले शातिर लोग शामिल हैं। जिन उपभोक्ताओं को इनकी जरूरत होती है, उनसे यह मीटिंग करके डील करते हैं।
डील तय होने पर 4 तरीकों न्यूट्रल को कंट्रोल करके, मीटर की सीटी-पीटी का कॉम्बिनेशन बिगाड़कर, मीटर की सील तोड़कर एल्युमीनियम का छोटा तार डालकर बाईपास करके और लाइन में कट करके खंभे से डायरेक्ट सप्लाई करके बिजली चोरी करते हैं। बिजली कंपनी के सिटी सर्कल के ईस्ट व नॉर्थ डिवीजन के दायरे में आने वाले पुराने शहर के कई इलाकों में औसतन 85% बिजली चोरी हो रही है।
सौदा 3000 से 5000 में, साल भर में 50 से 70 हजार खपत
इन 4 तरीकों से बिजली चोरी कराने के एवज में 3000 से ₹5000 में सौदा तय होता है। साल भर की बिजली खपत के तौर पर ऐसे लोगों को 50 हजार से 70 हजार तक का फायदा होता है।
बिजली चोरी की सबसे ज्यादा शिकायतें इन इलाकों से
बाग फरहत अफजा, छोला, करोंद, भानपुर, चांदबड, भदभदा, कोटरा सुल्तानाबाद, जहांगीराबाद प्रमुख है। साथ ही भोपाल शहर की कई झुग्गी बस्तियों में भी चोरी होने की शिकायतें मिली हैं।
पुलिस थानों में एफआईआर दर्ज नहीं हो पाती
बिजली कंपनी के अधिकारी कहते हैं कि बिजली चोरी के मामलों में पुलिस थानों में एफआईआर दर्ज नहीं हो पाती। इन मामलों में विद्युत अधिनियम की धारा 135 के तहत बिजली चोरी का मामला दर्ज कर उपभोक्ता को 1 साल का बिल थमा दिया जाता है।
वे एकमुश्त राशि जमा कर देते हैं या किस्तों में, फिर बिजली चोरी करने लगते हैं। बिजली कंपनी के पास इतना अमला नहीं है कि वह लगातार इसकी मॉनीटरिंग कर सके। कंपनी के अधिकारियों के मुताबिक एक ट्रांसफार्मर पर 80 कनेक्शन में से 41 पर बिजली चोरी होना उजागर हुआ है।