कैसे बदलेगी सूरत; पांच साल में कैंसर अस्पताल नहीं बना पाए…तीन साल से रेलवे का जोनल ट्रेनिंग सेंटर अटका

उज्जैन – सुस्त प्रशासन, अफसरों की कछुआ चाल और लापरवाही से रेलवे, विक्रम विश्वविद्यालय और कैंसर यूनिट के काम सालों से अटके पड़े हैं। रेलवे का जोनल ट्रेनिंग सेंटर तीन साल में नहीं बन पाया। अब प्रोजेक्ट की लागत दोगुनी हो गई है। जिस कैंसर यूनिट को एक साल में बन जाना था, पांच साल में भी उसकी सूरत नहीं बदली। विक्रम विश्वविद्यालय के जर्जर भवनों के मेंटेनेंस में डेढ़ साल लग गए।

रेलवे: 35 दुकानों का अतिक्रमण नहीं हटा पाए, प्रोजेक्ट की लागत दोगुनी

आगर रोड स्थित मकोड़िया आम में रेलवे का जोनल ट्रेनिंग सेंटर बनाया जाएगा। 2019 में इसकी स्वीकृति हुई थी। तब लागत 50 करोड़ आंकी थी। तीन साल में रेलवे ने प्रोजेक्ट की लागत दोगुनी कर दी। इस साल के आम बजट में प्राेजेक्ट राशि बढ़ाकर 100 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा है। 10 करोड़ रुपए की स्वीकृति भी मिल गई है। इसके बावजूद अब तक प्रोजेक्ट जमीन पर नहीं उतर सका है। जिस जगह सेंटर बनाया जाना प्रस्तावित है वहां पर 35 दुकानें लग गई हैं।

क्षेत्रीय रेलवे प्रशिक्षण संस्थान के लिए मकोड़िया आम में खुद की जगह पर पसरा अतिक्रमण रेलवे के लिए परेशानी खड़ी कर रहा है। अब तक मंडल से रेल अफसर, कर्मचारियों को भुसावल व उदयपुर में ट्रेनिंग के लिए जाना पड़ता है। ऐसे में मकोड़िया आम में रेलवे को खुद की जमीन सबसे कारगर लगी। डीआरएम विनीत कुमार गुप्ता के अनुसार जोनल ट्रेनिंग सेंटर के लिए कंसल्टेंट नियुक्त कर दिया है। इसके बाद काम में तेजी लाने का प्रयास किया जा रहा है।

ऐसा रहेगा ट्रेनिंग सेंटर

रेलों की विविध प्रणाली, तकनीकी, सिग्नल और दूरसंचार, इंजीनियरिंग, लेखा, कार्मिक, भंडार, यातायात की ट्रेनिंग दी जाएगी। अधिकारियों-कर्मचारियों को भारतीय रेल संगठन में अपना मूल्यांकन करने के लिए मित्र, दार्शनिक एवं मार्गदर्शक के रूप में कार्य करने की सलाह दी जाएगी ताकि वे बदलते वातावरण के अनुरूप सुधार लाने के लिए भूमिका निभा सकें। प्रशिक्षण संस्थान में देशभर से कर्मचारी प्रशिक्षण के लिए आएंगे।

800 कर्मचारियों को हर साल ट्रेनिंग

जोनल ट्रेनिंग सेंटर में हर साल 800 अफसर-कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जाएगी। इससे शहर में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। मंडल के विभिन्न स्टेशन से आने वाले कर्मचारियों की आवाजाही से स्थानीय बाजार में खरीदी बढ़ने के आसार हैं। इसके अलावा ट्रेनिंग सेंटर खुलने से मकोड़िया आम तक के लिए आवागमन के वाहन चलाने वालों को भी रोजगार मिलेगा।

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