विक्रम विश्वविद्यालय में पीएचडी के लिए रिसर्च गाइड की संख्या को लेकर अभी भी कशमकश बनी हुई है। 2018 से पहले विवि में 450 रिसर्च गाइड थे लेकिन नियमों में हुए बदलाव और सख्ती के बाद गाइड की संख्या में इतनी अधिक कमी आई कि 2020 तक रिसर्च गाइड की संख्या 105 ही रह गई।
इस साल फिर से रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए पुराने रजिस्टर्ड गाइड को निरंतर करते हुए निजी कॉलेजों के प्रोफेसरों को जोड़ा है। अब रिसर्च की संख्या बढ़कर 250 हो गई है। हालांकि इस साल गणित आैर समाजशास्त्र जैसे महत्वपूर्ण विषयों में एक भी सीट पर विद्यार्थियों को पीएचडी के लिए प्रवेश नहीं मिल सकेगा।
पहले प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर अपने निर्देशन में 6-6 पीएचडी करवा सकते थे। इसके बाद यूजीसी ने नियमों में बदलाव किया। जिसके बाद प्रोफेसर के अंडर में 8, एसोसिएट प्रोफेसर के अंडर में 6 आैर असिस्टेंट प्रोफेसर के अंडर में 4 पीएचडी कराने का नियम लागू किया गया।
साथ ही यह भी निर्देश दिए गए कि केवल स्नातकोत्तर महाविद्यालयों के प्राध्यापक ही पीएचडी करवा सकते हैं। इस वजह से विक्रम विश्वविद्यालय ने कई पुराने रजिस्टर्ड गाइड को पीएचडी कराने के दायरे से बाहर कर दिया। साथ ही सेवानिवृत्त हो चुके प्राध्यापकों को भी पीएचडी गाइड नहीं बनाया। जिसके कारण पीएचडी के गाइड लगातार कम होते चले गए। वर्ष 2020 तक स्थिति यह आ गई कि गाइड की संख्या 105 ही रह गई। जिसकी वजह से विश्वविद्यालय से रिसर्च करने वाले विद्यार्थियों को दूसरे विश्वविद्यालयों की ओर रुख करना पड़ा।
वहीं रिसर्च स्कॉलर कम होने से विश्वविद्यालय को आर्थिक नुकसान भी हुआ। इस बार विश्वविद्यालय ने पीएचडी एंट्रेंस एग्जाम कराने से पहले रिसर्च गाइड की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया। जिससे परिणाम यह रहा कि रिसर्च गाइड की संख्या बढ़कर 250 पहुंच गई।
विश्वविद्यालय में अब विभिन्न संकायों में 422 रिक्त सीटों के लिए 6 मार्च को पीएचडी एंट्रेंस एग्जाम होगी। इसके पहले विश्वविद्यालय में 2019 में केवल 100 आैर 2021 में 400 विद्यार्थियों ने पीएचडी में प्रवेश लिया था।
इन प्रयासों से बढ़े रिसर्च गाइड
- जिन रजिस्टर्ड रिसर्च गाइड को पहले बाहर कर दिया गया था, उन्हें विश्वविद्यालय ने फिर से निरंतरता दे दी है।
- कॉलेजों में बड़े पैमाने पर असिस्टेंट प्रोफेसर्स के पदों पर भर्तियां हुई हैं। विश्वविद्यालय ने इनसे संपर्क कर पात्रता के आधार पर इन्हें रिसर्च गाइड बनने के लिए प्रेरित किया और उनसे आवेदन करवाए। शोध उपाधि समिति (आरडीसी) ने पात्रता के आधार पर उन्हें नए रिसर्च गाइड के रूप में मान्यता दी।
- निजी कॉलेजों में कोड-28 के अंतर्गत आने वाले प्राध्यापकों को पात्रता के आधार पर मान्य किया। आरडीसी ने उनके आवेदन मान्य कर उन्हें नए रिसर्च गाइड के रूप में मान्यता दी।
विद्यार्थियों को होगा फायदा
कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडेय ने रिसर्च गाइड बढ़ाने पर जोर देते हुए कई प्रयास किए। अब रिसर्च गाइड की संख्या 250 हो गई है। इससे रिक्त सीटों की संख्या भी बढ़कर 422 हो गई है। इससे विश्वविद्यालय में रिसर्च गतिविधियां बढ़ेंगी ौर विश्वविद्यालय की आय में भी इजाफा होगा।प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा, कुलानुशासक, विक्रम विश्वविद्यालय