कोरोना ने ढेरों दुश्वारियां दी हैं। लाखों लोगों की जिंदगी छीन ली, लेकिन कुछ ने इस आपदा को चुनौती मानकर नए संकल्प लिए। उन्होंने वह कर दिखाया जो कभी सोचा न था।
इन्हीं में शामिल हैं कोविड पेंशेंट हेल्प डेस्क (सीपीएचडी) से जुडे देशभर के 2800 से ज्यादा लोग। कई बड़े काम करने के बाद सीपीएचडी ने उन माताओं के तरह-तरह के शौक पूरा कराने के लिए ‘मदर्स ड्राइव” शुरू की है जिसका बचपन से वह सपना देख रही थीं। इसमें माडलिंग, नृत्य, गायन, कंप्यूटर चलाना, मोबाइल चलाना, खुद पर भरोसा बढ़ाने के लिए रैंपवाक शामिल है। यह सब सिखाने के लिए कार्यशालाएं आठ मार्च महिला दिवस से कराई जाएंगी। फिलहाल मध्य प्रदेश के अलावा महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल में इस तरह की कार्यशालाएं होंगी। जिन शहरों से ज्यादा पंजीयन आएंगे उन क्षेत्रों में यह कार्यशालाएं करवाई जाएंगी। 800 से ज्यादा माताओं ने कार्यशाला में शामिल होने के लिए इंटरनेट मीडिया और दिए गए फोन नंबर के माध्यम से पंजीयन भी करा लिए हैं। इसकी थीम है ‘अब बारी है मां के सपनों की”।
सीपीएचडी की शुरुआत करने वाले स्वयंसेवियों ने बताया कि कई महिलाओं के छोटी उम्र से ही कई सपने रहते हैं, लेकिन शादी के बाद जिम्मेदारियां बढ़ने की वजह से वह उन्हें पूरा नहीं कर पातीं। ऐसे में उनके सपने पूरे हो सकें, आत्मविश्वास बढ़े और जिंदगी में नयापन आए इसलिए उनके सपने सच कराने का संकल्प लिया है। सीपीएचडी के संस्थापक सदस्यों में शामिल दिव्या चटर्जी, अभिषेक मकवाने, मेघा श्रीवास्तव, वरुणा खरे और सागर जैन ने मदर्स ड्राइव के लिए अलग-अलग जिम्मेदारी ली है। उनका कहना है इसे देश भर में बड़े पैमाने पर ले जाना है।
संस्था के लोगों की इस तरह बढ़ती रही सेवा की ललक
– म्यूकरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) के दौरान अपनों का दर्द और एंफोटेरिसिन इंजेक्शन की किल्लत देखी तो कुछ कर गुजरने की ठान ली। जरूरतमंदों को आठ लाख रुपये की दवाएं और इंजेक्शन निश्शुल्क उपलब्ध कराए।
– कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भोपाल समेत प्रदेश के अन्य जिलों और राज्यों में 20 हजार से ज्यादा लोगों को म्यूकरमाइकोसिस के इलाज में उपयोग होेने वाला एंफाटेरिसिन इंजेक्शन, वेंटिलेटर बेड, आक्सीजन सिलिंडरों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराई।
– एक साल के भीतर देश के विभिन्न शहरों में 950 लोगों को खून उपलब्ध कराया। सीपीएचडी के लोगों के अलावा उनकी अपील में अन्य लोगों ने भी जरूरतमंद के लिए रक्तदान किया।
– तेज ठंड के दौरान भोपाल में 400 से ज्यादा जरूरतमंदों को कंबल बांटे।
– किसी के जन्मदिन या अन्य यादगार दिन पर उसके घर के पास या अन्य जगह पर पौधा लगाते हैं। साथ ही उसकी देखभाल उस व्यक्ति के माध्यम से या खुद करते हैं। पौधारोपण हर रविवार को होता है। संगठन के 20 से 25 लोग जाकर पौधे रोपते हैं। अभी तक 200 से ज्यादा पौधे लगाए हैं।