जिस कच्चे माल से सूती कपड़ा बनता है उसके दाम लगातार बढ़ रहे हैं। पोलिएस्टर व काटन यार्न के दाम में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसके नतीजतन सूती कपड़ा 25 फीसदी तक महंगा हो जाता है।
यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध लंबा खिंचा तो कपड़े के दाम और बढ़ सकते हैं। इससे बैरागढ़ के कपड़ा व्यापारी चिंतित हैं।
व्यापारियों का कहना है कि ईंधन खर्च बढ़ने से वर्ष 2021 में ही कपड़ा 25 फीसदी तक महंगा हो गया था। पिछले साल व्यापारियों के पास पुराना स्टाक पड़ा था, इसलिए जनता पर महंगाई की मार कम पड़ी लेकिन अब अधिकांश व्यापारियों का पुराना स्टाक खत्म हो चुका है। नया माल महंगे दाम पर आ रहा है। ऐेसे में जाहिर है कि अब बिक भी महंगा रहा है। इससे ग्राहकी भी कम हो गई है।
कपड़ा व्यापारी संघ के पूर्व अध्यक्ष वासुदेव वाधवानी बताते हैं कि जिस कच्चे माल से कपड़ा बनता है, उसके दाम लगातार बढ़ रहे है। भिवंडी में ग्रे के दाम में 25 से 30 फीसद तक बढ़ोतरी हुई है। अब इसका असर सूती कपड़ों पर पड़ रहा है। इचलकरंजी से भी सूती कपड़ा आता है। माल की आवक कम होने से व्यापारी चिंतित हैं। व्यापारियों ने लगातार बढ़ते दाम को देखते हुए ही कपड़े पर जीएसटी की दर पांच से 12 फीसद करने का विरोध किया था। सरकार ने जीएसटी दर तो यथावत रखी है, पर भाव बढ़ने से टर्नओवर कम हो गया है। व्यापारियों के मुताबिक यही हाल रहा तो वर्ष 2022 में टर्नओवर 25 फीसदी तक कम हो सकता है।
रूस-यूक्रेन युद्ध का असर भी कपड़ा बाजार पर
कपड़ा व्यापारियों के मुताबिक रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले का दुष्प्रभाव कपड़ा बाजार पर पड़ सकता है। युद्ध की शुरूआत के साथ ही कच्चे तेल के दाम बढ़ गए हैं। केमिकल के दाम भी आसमान छू रहे हैं। इसका असर आने वाले दिनों में कपड़े की विभिन्न् वैरायटी पर नजर आ सकता है। युद्ध लंबा चला तो कपड़ा 50 फीसद तक महंगा होने से इनकार नहीं किया जा सकता। कपड़ा संघ के अध्यक्ष कन्हैया इसरानी का कहना है कि कपड़े का निर्यात बढ़ रहा है, इस कारण भी दाम बढ़ रहे हैं।