साइकिल पर सवार स्वच्छता प्रहरी, गली गली घूम के चला रहे स्वच्छता अभियान

लोगों को स्वच्छता का संदेश देने के लिए राजधानी के पूर्व सैनिक अशोक तिवारी रोज 50 से 60 किमी साइकिल चलाते हैं। रास्ते में जो भी कचरा मिलता है, उसे उठाकर कचरा स्टेशन में डंप कर देते हैं।

साथ ही रास्ते में मिलने वाले मृत जानवरों का अंतिम संस्कार करते हैं। वे बीते 20 सालों से यह काम कर रहे हैं। इतना ही नहीं, भारत के सभी राज्यों में घूमकर भी उन्होंने स्वच्छता का संदेश दिया है। इस दौरान उन्होंने करीब दो लाख दस हजार किमी साइकिल से यात्रा की है।

उन्होंने बताया कि जब स्वच्छता यात्रा शुरू की थी तो घर वालों ने इस बात का विरोध किया था। परिजनों का कहना था कि कचरा उठाने का काम करना ठीक नहीं है। मैं ब्राह्मण होकर यह काम न करूं। सभी तानें देते थे, लेकिन मैंने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया। इसके उलट मैंने अपना नाम अशोक तिवारी से बदलकर अशोक हिंदुस्तानी कर लिया। सड़कों की साफ-सफाई के दौरान मुझे कई बार रास्ते में मृत जानवर भी पड़े मिले। उन्हें देखकर मन में ख्याल आया कि किसी भी मनुष्य के मरने पर कोई न कोई उसका संस्कार जरूर करता है, लेकिन इन मृत जानवरों का अंतिम संस्कार करने वाला कोई नहीं है। नगर निगम के सफाईकर्मी भी इन जानवरों को कचरे में फेंक देते हैं। इस बात से दुखी होकर मैंने इनका अंतिम संस्कार करना भी शुरू कर दिया। अब तक करीब 200 से अधिक मृत जानवरों का अंतिम संस्कार मैं कर चुका हूं।

हाईटेक साइकिल से करते हैं स्वच्छता का प्रचार : अशोक की साइकिल भी बेहद हाइटेक है। इसमें स्वच्छता के संदेश का बोर्ड, तिरंगा झंडा और तीन बाक्स हैं। एक बाक्स में वो कुल्हाड़ी, फावड़ा व झाड़ू रखते हैं, जबकि अन्य दो बाक्सों में सूखा व गीला कचरा उठाते हैं। उनकी साइकिल में लगे बोर्ड में उन्होंने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के साथ मेरा घर भोपाल लिखवा रखा है। उन्होंने बताया कि उनके काम को देखकर कुछ सामाजिक संगठन भी आगे आए, लेकिन कुछ दिन में ही इससे पल्ला झाड़ लिया। लेकिन वो यह काम अभियान के रूप में बिना किसी सरकारी व निजी मदद से कर रहे हैं।

103 जरूरतमंदों को रक्त दे चुके हैं

अशोक तिवारी भेल स्थित कमला नगर कालोनी में रहते हैं। आवश्यक होने पर उनके आसपास रहने वाले जरूरतमंदों को ब्लड डोनेट भी करते हैं। अब तक करीब 103 लोगों को ब्लड डोनेट कर चुके हैं, जिसमें से करीब 75 महिलाएं शामिल हैं। उनके समाजसेवा व स्वच्छता के कार्य को देखते हुए इंटरनेशनल इंटरशिप यूनिवर्सिटी की ओर से ह्यूमैनिटी में डाक्टरेट की उपाधि दी गई है। साथ ही कोरोना काल में किए गए कार्यों को देखते हुए मुंबई में दादा साहब फाल्के आइकन अवार्ड से नवाजा जा चुका है।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles