पहली बार स्वर्ण सा दमका कोटितीर्थ – आज सुबह सेहरा दर्शन होंगे फिर साल में एक बार दोपहर में होने वाली भस्मआरती

इस महाशिवरात्रि पर उज्जैन में लघु कुंभ सा नजारा रहा। कोरोना काल के बाद पहली बार ऐसी भीड़ उमड़ी कि महाकाल मंदिर जाने वाले मार्गों पर जगह कम पड गई। इतनी अधिक संख्या में श्रद्धालु आए कि व्यवस्था संभालने वालों के भी हाथ-पैर फुल गए। अल सुबह श्रद्धालुओं की भीड़ ने बेरिकेड्स गिराकर अंदर घुसने का प्रयास किया। किसी तरह प्रशासन ने स्थिति संभाली।

मंगलवार तड़के भस्म आरती के बाद शुरू हुआ दर्शन का सिलसिला जारी रहा। महाकाल मंदिर समिति की तरफ से दावा किया गया कि रात 8 बजे तक करीब तीन लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन कर लिए थे। यह आंकड़ा पिछले वर्षों की तुलना में लगभग दोगुना तक है। इधर बुधवार को दोपहर 12 बजे भस्मआरती होगी, जो साल में एक बार ही होती है। इसके पहले सेहरा चढ़ाया जाएगा।

खामियों भरी रही व्यवस्था- दर्शन के लिए जाने वालों को सिर पर छांव, लौटने वालों के धूप में पैर जलते रहे

महाशिवरात्रि महोत्सव पर श्रद्धालुओं के लिए की गई दर्शन व्यवस्था बेहतर तो थी लेकिन उसमें खामियां भी थी। इस कारण श्रद्धालुओं को परेशानी झेलना पड़ी। चारधाम मंदिर मार्ग से दर्शन के लिए बेरिकेडिंग में लग रहे श्रद्धालुओं के सिर पर कनात की छांव थी लेकिन लौटते समय सुविधाओं का अभाव रहा।

पूरी सड़क पर सिर्फ एक और संकरी ग्रीन कारपेट बिछाई गई थी, वह भी आधी-अधूरी। ऐसे में बड़ा गणेश मंदिर के सामने से हरसिद्धि मंदिर चौराहा होते हुए क्लॉक रूम तक श्रद्धालुओं को धूप में नंगे पैर चलना पड़ रहा था। ज्यादा परेशानी बच्चों को होती रही। जिन्हें कुछ परिजन तो कंधे पर बैठाकर ले लाते दिखे।

दो किलोमीटर पैदल चले भक्त तब डेढ़ घंटे में दर्शन हो पा रहे थे

इसके अलावा व्यवस्था में दूसरी बड़ी खामी यह थी कि दर्शनार्थियों को काफी पैदल चलवाया गया। कर्क राज मंदिर ग्राउंड, भील समाज की धर्मशाला और कार्तिक मेला ग्राउंड इन तीन जगह मुख्य पार्किंग थी। जहां वाहन पार्क कर श्रद्धालुओं को गंगा-गंगोत्री गार्डन के पास स्थित क्लॉक रूम तक जूते-चप्पल रखने के बाद कतार में लगने के लिए चारधाम मंदिर मार्ग पहुंचना पड़ रहा था। करीब दो किमी पैदल चलने के बाद श्रद्धालुओं को दर्शन हो पा रहे थे। दिल्ली से दर्शन करने आए अनिल कुमार ने कहा कि दर्शन तो डेढ़ घंटे में हो गए लेकिन चलना काफी पड़ा। यही पीड़ा बिहार से आए बिट्टू ने बयां की।

श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने की यह तीन प्रमुख वजह

1 महामारी के बाद यह पहला अवसर था जब श्रद्धालुओं के लिए कोई रोकटोक नहीं थी।

2 इस बार महाशिवरात्रि को दीपोत्सव के रूप में मनाते हुए वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया जा रहा है, इसे देखने के लिए भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आए।

3 लंबे समय से महाकालेश्वर मंदिर के विस्तारीकरण व विकास के कार्य चल रहे हैं। यह कार्य भी श्रद्धालुओं को खींच लाए।

ढाई हजार से ज्यादा श्रद्धालु भीड़ में अपनों से बिछड़े

भीड़ में अपनों से बिछड़ने वालों की मदद के लिए खोया-पाया के पांच सेंटर बनाए थे। स्काउट गाइड के जिला मुख्य आयुक्त रमेश चंद्र शर्मा ने बताया कि रात 8 बजे तक सभी पांच सेंटरों पर 2500 से अधिक लोगों के बिछड़ने की सूचनाएं पहुंची थी। अच्छी बात यह रही कि यह सभी मिलते भी गए।

अनाउंस करने के बाद बिछड़े हुए लोग अपनों से मिलते जा रहे थे। हरसिद्धि मंदिर के सामने स्थित सेंटर पर डाइट कमिश्नर ज्ञान भार्गव, गाइड रेखा शर्मा, केशव जोशी आदि तैनात थे। इनका कहना था कि दो बजे तक अकेले इसी सेंटर पर करीब 600 लोगों के गुम होने की सूचना दर्ज हुई थी।

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